स्मृति - 573 : संत रविदास जयंती
आज सामाजिक सौहार्द और समरसता के स्रोत संत रविदास जी की जयंती है । इस बार रविदास जयंती 27 फरवरी को मनाई जा रही है जो गुरु रविदास की 644 वीं जयंती है । संत रविदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था और उनकी माता का नाम कलसा देवी और पिता का नाम श्रीसंतोख दास था । संत जी के अनुयाई उनके जन्म उत्सव में शामिल होने हमेशा ही वाराणसी आते हैं ।
संत रविदास जी के पिता जूते बनाने का काम करते थे और रविदास जी भी अपने पिता की जूते बनाने में मदद करते थे । इस कारण उन्हें जूते बनाने का काम पैतृक व्यवसाय के तौर पर मिला । उन्होंने इसे खुशी से इसे अपनाया और पूरी लगने के साथ वह जूते बनाया करते थे । साधु-संतों के प्रति शुरुआत से ही संत रविदास जी का झुकाव रहा है । समाज में फैले भेद-भाव, छुआछूत और साम्प्रदायिकता का वह जमकर विरोध करते थे ।
उन्होंने अपने जीवन में लोगों को अमीर-गरीब हर व्यक्ति के प्रति एक समान भावना रखने की शिक्षा दी । उनका मानना था कि हर व्यक्ति को भगवान ने बनाया है, इसलिए सभी को एक समान ही समझा जाना चाहिए । वे लोगों को एक दूसरे से प्रेम और सम्मान करने की सलाह दिया करते थे । वे बहुत दयालु थे दूसरों की मदद करना उन्हें एकमात्र उद्देश्य था । साधु- संतो की सेवा करने से पीछे नहीं हटते थे । उनके बारे में एक मशहूर कहावत है, " मन सच्चा तो कठौती में गंगा ।"
पूरन चन्द्र कांडपाल
27.02.2021
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