Friday 5 February 2021

Ek tha Pradeep : एक था प्रदीप

खरी खरी - 784 : एक था प्रदीप

     एक क्विज कांटेस्ट में मैंने आगन्तुकों से पूछा -"ये मेरे वतन के लोगो" गीत की गायिका तो लता जी हैं पर इस गीत का लेखक कौन है ?''  कोई हाथ खड़ा नहीं हुआ । यह गीत आजकल मात्र 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही सुनने को मिलता है । यह देख कर निराशा हुई परंतु आश्चर्य नहीं हुआ । कवि, लेखकों, साहित्यकारों, गीतकारों, गायकों और संगीतकारों को हमारे समाज में कम ही लोग जानते हैं ।

     इस गीत के लेखक थे पंडित प्रदीप  जिनका आज 6 फरवरी को जन्मदिन है । 6 फरवरी 1915 को जन्मे इस नगीने ने 11 दिसंबर 1998 को दुनिया से अलविदा कह दिया । प्रदीप ने सैकड़ों गीत लिखे जिनमें 1943 का गीत "दूर हटो ये दुनिया वालो हिंदुस्तान हमारा है " बहुत मशहूर हुआ ।

       प्रदीप को कई पुरस्कार मिले जिनमें 1998 का फिल्म इन्डस्ट्री का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के अवार्ड प्रमुख है । उम्मीद करें हम इस तरह के गीतकारों को न भूलें और गीत के साथ इनका नाम भी लिया करें । प्रदीप को उनकी जयन्ती पर विनम्र श्रद्धांजलि । 

     उत्तराखंड में भी लोग मंच पर "आम कि डाई मा घुघुती न बासा" गीत गाते हैं और अपने गायक होने का दम्भ भरते हैं परंतु इस गीत के रचियता और  गायक दिवंगत 'गोपाल बाबू गोस्वामी' का नाम नहीं लेते । दोस्तों जिनके भी गीत आप गाते हैं चाहे वे गिरदा हों, हिरदा हों, राही जी हों या नरेंद्रदा हों उनका नाम मंच से जरूर लीजिये, तभी आपको भी सम्मान मिलेगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल


06 फरवरी 2021


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