Saturday 20 February 2021

Maatribhasha diwas 21 Feb :मातृभाषा दिवस 21 फरवरी

मीठी मीठी - 570 :  हमरि मातृभाषा कि बात

(21 फरवरी मातृभाषा दिवस पर विशेष )

     कुमाउनी और गढ़वाली भाषाओं कैं संविधानक आठूँ अनुसूची में जब तक जागि नि मिला, यूं भाषाओं क जानकार, लेखक, कवि और साहित्यकार चुप बैठणी न्हैति । चनरदा बतूं रईं, " संघर्ष जारी धरण पड़ल, कुहूक्याव मारण पड़लि । जैकें जब मौक मिलूं य बात कि चर्चा जरूर हुण चैंछ । जनप्रतिनिधियों कि कुर्सि, दुलैच, आसन कैं ढ्यास मारण में कसर नि छोड़ण  चैनि ।  

      रचनाकार आपण काम करैं रईं । लेखें रईं, आफी छपों रईं और फिरी में बाटें रईं । यमें रचनाकारों ल निराश नि हुण चैन । आपणी मातृभाषा लिजी तन- मन- धन खर्च करण सबूं है ठुल पुण्य छ । य कामक लिजी दिलक साथ 'पहरू', 'कुर्मांचल अखबार', 'कुमगढ़' और ' आदलि कुशलि ' कैं साधुवाद दींण चानू । यूं तपस्वियों है लै ठुल काम करें रईं ।"

     चनरदा ल विलुप्त हुणी भाषाओँ पर लै चिंता जतूनै कौ, "एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्र में यूनेस्कोक अनुसार दुनिय में 6000 भाषाओँ में 2500 लुप्त हुणकि  आशंका छ ।  हमार देश में 196 भाषाओं कैं लुप्त हुणक खत्र छ ।  दुनिय में करीब 200 भाषा यास छैं जनार बलाणी 10 है लै कम रै गईं । 

      भाषाओँक अंत हुणल संस्कृतिक लै अंत है जांछ  किलै कि यूं एक दुसारक परिपूरक छीं । दुनियाक 96% भाषा केवल 3% आबादी बलैंछ जबकि 97% आबादी 4 % भाषाओं कें बलानी । दुनिय में ज्यादै बलाई जाणी 65 भाषाओँ में 11 भारत में छीं ।  हमार देश में भाषाई सर्वेक्षण 80 वर्षों बटि नि है रय । सरकार यैक लिजी गंभीर न्हैति । 

      कुमाउनी और गढ़वाली भाषाओँक बलाणियां कि संख्या उत्तराखंड और देशाक अन्य राज्यों में डेड़ करोड़ है ज्यादै छ ।  द्विये भाषाओं क साहित्य लै छ और साहित्यकार लै छीं । एक दौर में यूं राजकाजक भाषा लै छी । मान्यता दीणक लिजी यूं द्विए सब शर्त लै पुर करनीं । इनुकैं मान्यता मिलण पर इनरि दिदी हिंदी कैं के लै नुकसान नि ह्वल बल्कि उ और समृद्ध ह्वलि । द्विए भाषाओं कि लिपि लै देवनागरी छ । अगर राज्य सरकार हिम्मत करो तो इस्कूलों में यूं द्विये भाषाओँ कें पढूनै कि शुरुआत ठीक ढंगल करो ।  जो भाषा लोक में रची- बसी छ उकें मान्यता दींण में डाड़ के बात कि ? " मातृभाषा दिवसकि सबूं कैं शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.02.2021

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