मीठी मीठी - 569 : कलाम अंकल और सैम मानेकशॉ
सोसल मीडिया मित्र श्री केसर घले जी के अनुमोदन पर आज कुछ शब्द पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम और 1971 के रण (सौभाग्य से मैं भी उस रण में था।) विजेता फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ (एसएचएफजे मानेकशॉ ) के बारे में लिख रहा हूं । सवाल है किसे सलूट करूं ?
कलाम अंकल का निधन 84 वर्ष की उम्र में हुआ जबकि सैम साहब का निधन 94 वर्ष की उम्र में हुआ । अब दोनों ही महान विभूतियां हमारे बीच में नहीं हैं । जब कलाम अंकल हमारे राष्ट्रपति थे तो वे कूनूर गए । वहां उन्हें पता चला कि सैम मिलेट्रि मिलिट्री अस्पताल में भर्ती हैं । वे अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर सैम साहब से मिलने गए। कलाम अंकल ने उन्हें देखने के बाद पूछा "कोई समस्या है तो बताओ सैम" । सैम ने बताया "सर आप मेरे सुप्रीम कमांडर हैं । मैं आपको सलूट करना चाहता हूं परन्तु मेरा हाथ नहीं उठता ।" सैम और कलाम दोनों की आंखें नम हो गईं थीं। कलाम अंकल ने सैम का हाथ उठाया और सलूट सम्पन्न कराई ।
सैम का एक दुखड़ा बाकी था । कलाम साब के पूछने पर सैम ने बताया, "सर मेरे फील्ड मार्शल रैंक की पेंशन का एरियर अभी तक मुझे नहीं मिला जिसकी कार्यवाही चल रही है।" "ठीक है, देखूंगा सैम" कहते हुए कलाम साब दिल्ली आ गए । दिल्ली आते ही उन्होंने सैम का केस निपटाया और एक हफ्ते में सैम को 1.25 करोड़ रुपए का चैक भेज दिया। इतनी शीघ्रता से चैक अपने हाथ में देखकर सैम बहुत खुश हुए । उन्होंने चंद सेकेंड सोचा और चैक की पूरी राशि अर्थात ₹ 1.25 करोड़ आर्मी रिलीफ फंड में दान कर दी। अब सवाल है किसे सलूट करूं ? फील्ड मार्शल सैम को या कलाम अंकल को ? हम दोनों को जयहिंद के साथ एक बहुत बड़ा सलूट करते हैं । क्या आज भी ऐसे वास्तविक हीरो होते होंगे ? क्यों नहीं, जरूर होते होंगे परन्तु केसर घले जी की तरह ऐसी चर्चा लोग साझा नहीं करते । मेरा भारत महान ।
श्री केसर घले जी विक्टोरिया क्रास विजेता कैप्टन गजे के सुपुत्र है जिन्होंने अपने पिता की स्मृति में कई काम किए हैं जिनमें से एक है उनके नाम पर "विक्टोरिया क्रास गजे घले साहित्य पुरस्कार" जिसका पहला पुरस्कार वर्ष 2018 में मेरी पुस्तक "महामनखी" को मिला । इस पुरस्कार के कोर्डिनेटर हैं कुमाउनी भाषा, साहित्य एवम् संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी अल्मोड़ा (उत्तराखंड )।
पूरन चन्द्र कांडपाल
17.02.2021
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