खरी खरी - 794 : मूर्ख और गंवार
तुमने हमेशा ही मुझे
मूर्ख और गंवार समझा
निरोगी होते हुए भी
रोग का शिकार समझा
मांग कर मुझ से
वो चीज ले लेते तुम
चुपचाप उठा ली
मुझे लाचार समझा ।
गुनाह ये था मेरा कि तुम्हारी
एक कमी ही तो बताई थी मैंने
कमी दूर करने की
राह भी तो दिखाई थी मैंने
बस यही वजह थी जो
तुमने मुझे कसूरवार समझा ।
तुमने हमेशा ही मुझे
मूर्ख और गंवार समझा ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.02.2021
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