(आज लौकडाउन का 50/54वां दिन है । घर में रहिए, बाहर मत निकलिए । इस दौर में विश्व में कोरोना संक्रमित/मृतक संख्या 43.39+ लाख/2.92+ लाख और देश में 74+हजार /2.4+ हजार हो गई है । देेश में 21 + हजार रोगी ठीक भी हो गए हैं । कर्मवीरों का मनोबल बढ़ाइए । भागेगा कोरोना, जीतेगा भारत । आज ' समय के अनुसार बदलाव जरूरी ' पर चर्चा ।)
खरी खरी - 628 : समय के अनुसार बदलाव जरूरी
वक्त के हिसाब से बदलना जरूरी । वैदिक साहित्य लगभग 3500 वर्ष पहले लिखा गया । आज विज्ञान ने हमें बहुत कुछ दे दिया है । जाति के आधार पर किसी को श्रेष्ठ कहना उचित नहीं है । जो ज्ञान प्राप्त करेगा वह श्रेष्ठ होगा । व्यास - वाल्मीकि श्रेष्ठ बने अपने ज्ञान से । आज हम संविधान के अनुसार चलते हैं । जो ज्ञानी होगा वह पूजनीय होगा । घर -मंदिर बनाने वाले शिल्पकार/दलित से भेदभाव उचित नहीं । उसके साथ वैसा ही व्यवहार हो जैसा हम सबसे करते हैं । हम ढाबे में कभी नहीं पूछते रोटी/खाना किसने बनाया ? स्थान स्वच्छ हो, भोजन स्वच्छ हो और बनाने वाला स्वच्छ हो । अन्न तो परमेश्वर है । भगवान या वायरस अमीर - गरीब या ऊंच - नीच नहीं देखते । सब एक समान ।
मैं आज के युग की बात करता हूं । गंगा पौराणिक युग में राजा सगर लाए परन्तु आज हम बच्चों को बताते हैं गंगा गंगोत्री, उत्तराखंड से निकलती है । सूर्य - चन्द्र ग्रहण कोई राहू - केतू नहीं है, यह पृथ्वी/चन्द्र की छाया से होता है । सूर्य स्थिर है जबकि कहा जाता था घूम रहा है । यदि कोई आज भी उसी पौराणिक युग में जीना चाहे तो मोबाइल, इंटरनेट, कार, एसी, टीवी, फ्रिज, सहित विज्ञान प्रदत सब चीजों का त्याग करे और उसी युग का जीवन जीये । विज्ञान प्रदत वस्तुओं का आनंद लेकर दूसरों को पौराणिक युग में जीने का प्रवचन/भाषण देना उचित नहीं । ज्ञान किसी भी युग का हो, जन हितैषी हो और सर्वहिताय हो, तो उसे अवश्य लेना चाहिए । तभी तो कहा - सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे संतु निरामया ।
पूरन चन्द्र कांडपाल
13.05.2020
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