Tuesday 12 May 2020

sakshatkaar dhaila ji sang :साक्षात्कार ढैला जी के संग

◆कुमाउनी इंटरव्यू● हमार कुमाउनी रचनाकार【06】
""""""""""""""""""""""
~मित्रों कुमाउनी इंटरव्यू सीरीज में, आज मैं संक्षिप्त परिचय ल्हीबेर ऐरयूँ हमार वरिष्ठ साहित्यकार श्री पूरन चंद्र कांडपाल ज्यूक। इनर जन्म 28 मार्च सन 1948 हूं ईजा श्रीमती हंसी कांडपाल व बौज्यू श्री बी.बी.कांडपाल ज्यू वाँ ग्राम-खग्यार, पिलखोली (राणिखेत) में भौ। पूरन चंद्र कांडपाल ज्यू दिल्ली में रहते हुए हिंदी'क दगाड़-दगाड़ै कुमाउनी बोलि भाषा विकास में लै आपण महत्वपूर्ण योगदान दिण लाग रयी। हिंदी और कुमाऊनी में इनार द्वारा रची लगभग द्वी दर्जन हैं जादे किताब छन्। यौ काल्पनिक लिखण हैं भल वास्तविकता लिखण में विश्वास करनी। अंधविश्वास और दुर व्यसनों विरोध में मुखर हबेर लिखणी काण्डपाल ज्यू आर्मी'क स्वास्थ्य शिक्षका'क पद बटी रिटायर छन। प्रस्तुत छन इनन दगै हई बातचीता'क कुछ अंश...

सवाल01◆  जनून आपूं प्रभावित भछा उ तीन मनखीनों नाम बताओ?
जवाब● इज,बाबू और सन् 1962 में मिडिल स्कूल कुनेलाखेताक् हेड मासाब दिवंगत मथुरादत्त मठपाल।
सवाल02◆ रचना धर्मिता कब बटी और कसिक शुरू भै? आपूं हिंदी में लिखछा फिर कुमाउनी लिखनकि प्रेरणा काँ बटी मिलै?
जवाब● 23 सालैकि उमर में सन् 1971 कि लड़ाई में कलमक् जनम बंकर जमीन भितेर भौ। कुमाउनी में लिखण पाठकों'क अनुरोध पर करौ।
सवाल03◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन?
जवाब● महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, सुंदर लाल बहुगुणा और लै भौत।
सवाल04◆ अछा आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब● अध्ययन और हिंदी कुमाउनी साहित्य सृजन।

सवाल05◆ आपूंल कुमाउनी साहित्याक् लगभग सबै विधा'न् में लिखि राखौ। लेकिन हम आपूं कें मूल रूपल के मानि सकनू और आपुणि लिखणैकि मन पसंद विधा के छ?
जवाब● सबै विधा मनपसंद छन क्वे कम न क्वे जादे। कलम घिसणीं छूँ महराज साहित्य'क एक सिपाही कै सकछा।
सवाल06◆ आपुण जिंदगी'क एक यादगार किस्स बताओ जो सबन दगै साझा करण चाला।
जवाब● उसिक तो जिंदगी में भौत सारै याद छन पर मैं आपूं कें उ यादगारी बतूं जो म्यार दिलो दिमाग में विशेष रूपल बसि रै। सन 1971 क युद्ध में मेरि उमर 23 साल छी। 14 दिनैकि लड़ैं भै। लड़ैं बाद जो बौडराक गौं छी हमन कैं वाँ जाणोंक आदेश मिलौ। मैं कें जोंगा गाड़ी दगै एक ड्राइवर मिलिछी। हम आपण हाथ में एक निशाण बादिबेर जांछी तो लोग समज जांछी यौ हमौर ईलाज करण हूँ ऐरौ। गौं में जाबेर देखौ तो भौत लोगों कें काफी चोट आरै। उनरि दरदवाई करै और जनन कें गंभीर चोट छी उननकें सही जाग पुजोंनक बंदोबस्त करौ। हम दिन भर वाँ रूछियां और कयी दिन तक जाते रयां तो बाद में वाँ लोग आपस में हमार बा्र में कूंछी कि यौ जाणी कां बटी अवतार ल्हीबेर धरती में ऐरी। उ लोगनक् जो प्यार और स्नेह मिलौ मैं आज लै न भुलि रयी उकें, जबकि यौ बात कें सन् 71 बटी यतू साल है गयी।

सवाल07◆ आपुण जिंदगी में सबन हैं ठुलि खुशीक छण को छी?
जवाब● जब च्यल एनडीए में चयनित भौ। आज उ सेना में सीनियर अधिकारी छ।
सवाल08◆ क्वे यस काम जो आपूं समजंछा अगर यौ है जांछियो तो भौत भल हुंछी?
जवाब● कुमाउनी भाषा में व्याकरण'कि किताब लिखण चानूं।
सवाल09◆ वर्तमान में के रचनौछा और आपुणि ऊणी वालि क्वे रचना?
जवाब● मैं ऐल कुमाउनी भाषा में व्याकरण पर काम करनयूं और यै अघिल ऊणी वालि रचना छ मेरि।
सवाल10◆ साहित्य लिखण और पढन जरूड़ी किलै छ?
जवाब● सहित्यक् अध्ययन और सृजन मनखी कें पूर्ण मनखी बणों। बिना अध्ययनै मनुष्य अपूर्ण छ।
सवाल11◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी'क प्रिय लेखक को-को छन? एक-एक नाम बताओ?
जवाब● हिंदी में मुंशी प्रेमचंद और
कुमाउनी में शेरदा अनपढ़।
सवाल12◆ टीवी में आपूं के देखण भल मानछा?
जवाब● समाचार, अंधविश्वास पर वार्ता और विज्ञान वार्ता।
सवाल13◆ पहाड़ी भोजन में आपूं के खाण् पसंद करछा?
जवाब● सब पसंद छ हरी साग समेत।

सवाल14◆ नवोदित लेखक, रचनाकारों हूं आपूं के कूंण चाँछा?
जवाब● लेखन श्रम करो, पुराण लेखकों कें पढो,विनम्रता भौत जरूड़ी छ। चमचागीरी, जुगाड़बाजी और झुटि तारीफ करणियां धैं बचिया। साहित्य में सबै विधाओं पर लिखी जाण् चैंछ। बेझिझक गिज खोलिया।
सवाल15◆ उत्तराखंड बणी 20 साल है गई लोकभाषा साहित्य और संस्कृति विकास में उत्तराखंड सरकार कें 10 में हैं कतू नंबर देला?
जवाब● 2012 बटी घट बा्ंज हैरौ, विभाग असफल छ। गैरसैंण राजधानी नि बनि, मुजफ्फरनगरा'क नरपिशाचों कैं सजा नि मिलि जनूल हमरि मातृशक्तिक अपमान करौ, पलायन नि थम और देवभूमि शराब व भ्रष्टाचार भूमि बनि गे। जोकि दुखद छ। उत्तराखंड सरकार कें 10 में 3 नंबर उलै मन मारि बेर।
सवाल16◆ आपूं कर्मकांड, बिभूत जागर,छुआछूत और बलि प्रथा व सुर शराबाक धुर विरोध में लिखछा अच्छा यौ सब चीजन कें आपूं आपण घर में नि मानना। किलै?
जवाब●  य सब अंधविश्वास छ। यैक माध्यमल लोग भैम फैलूनी। य मिलीभगतल लोगों कैं डरै बेर परेशान करणक सुनियोजित धंध छ। भगवद गीताक संदर्भ में देखी जो। उत्तराखंड में मसाण केवल स्यैणियां पर किलै लागूं, मैंसू पर किलै नि लागन ? च्येलि - बेटि - ब्वारियों कैं शुरु बै डरै बेर धरी जां वां, ताकि मसाण उद्योग बंद नि हो। शराब आत्मा और शरीर, घर, समाजक नाश करीं। कुछ कवि शराब पी बेर कविता पाठ में शराबक विरोध करनी। यास डबल चरित्रों है बचण चैंछ और इनुकैं दूर धरण चैंछ। सरस्वतीक वरद पुत्र शराब, धूम्रपान, गुटका, नश् हैं दूर रूनी।

सवाल17◆ अछा आपुण हिसाबल भगवान हुनेर भया या न?
जवाब● भगवान निराकार छ, सर्वत्र छ और सर्वशक्तिमान छ। उ धर्मस्थलों में नि रौन । उ घट-घट वासी छ। भगवान कैक बदन या शरीर में अवतार न ल्हिन।
सवाल17◆ आपूं हर रोज नियमित रूपल सोशल मीडिया में लिखछा और पोस्ट करछा यतू कटिबद्धता अनुशासनाक बार में लै बताओ धैं?
जवाब● लेखन और अध्ययन तपस्या छ। सोसल मीडिया में पांच शीर्षकों में लगभग 10 साल बटि लेखनू - खरी खरी, मीठी मीठी, ट्वीट, दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै और बिरखांत। म्यार आँखर लोगों कैं ठीक लागनी और लोग इंतजार लै करनी। लेखन में तपस्या करण हइ। म्यार आलोचक और पाठक म्यार मार्गदर्शक छन।
सवाल18◆ अछा आपूं द्वारा रची-लिखी भौत किताब छन कुछ विशेष किताब'नक जिक्र करो धैं जरा?
जवाब● हिंदी में 17 किताब छन~ बचपन की बुनियाद, कारगिल के रणबांकुरे, स्मृति लहर, ये निराले, जागर, शराब धूम्रपान, इंडिया गेट का शहीद आदि किताब ज्यादा लोकप्रिय हई ।
कुमाउनी में 13 किताब छन~ महामनखी, सांचि, छिलुक, बटौव, मुकस्यार, उज्याव, लगुल, हमरि भाषा, यूं किताब विशेष छीं।
सवाल19◆ आपण जिंदगी'क मूल मंत्र कि छ?
जवाब● कर्म करो, बस एक मंत्र। भगवान वीकि मदद करनी जो श्रम करूं। सबै किस्मक नश हैबेर दूर रौण चैंछ।
सवाल20◆ लेखन कार्य करते हुए आपूं कें आज तक के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी?
जवाब● पुरस्कार और सम्मान लेखक'क हौसला बणूंनी। उसिक तो भौत सारै सम्मान मिलि रयी लेखन कार्य करते हुए पर कुछ खास यौ प्रकार'ल छन१)'आचार्य चतुर सेन सम्मान', २)राष्ट्रीय सहारा का 'प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान', ३)साथी एवं उपवन पत्रिका से 'कृति सम्मान', ४)हिंदी अकादमी दिल्ली सरकार का 'बाल किशोर साहित्य सम्मान' 2009,५)सर्व भाषा ट्रस्ट नई दिल्ली- 'गिरदा साहित्य सम्मान' 2018, गंगा मेहता स्मृति सम्मान पहरू अल्मोड़ा 2013, 'कलश साहित्य सम्मान' 2014 नई दिल्ली, बहादुर सिंह बनोला स्मृति सम्मान पहरू अल्मोड़ा 2014, महाकवि 'कन्हैयालाल डंडरियाल साहित्य सम्मान' 2016 लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली, हिमालय गौरव सम्मान 2018 पर्वतीय लो वि समिति दिल्ली आदि।
सवाल21◆ अक्सर लोग यौ कूंनी हमन् धैं कि तुम शहरन् (भाबर) में बसिबेर पहाड़ बचूंनकि बात किलै करछा?कि कौला।
जवाब● एक ड्यार पहाड़ में, एक ड्यार दिल्ली में छ। इज - बाबुक गुजरणा बाद पहाड़ जाण कम हैगो। वां रुजगार मिलन तो को छोड़छी पहाड़? विगत 10 वर्षों में 5 लाख लोग निकली गईं पहाड़ बै मैदानी क्षेत्रों कि तरफ। वां  दूर - दराज में बुनियादी सुविधा न्हैंतीन। बी पी एल क दान'कि जिंदगी के नि हइ। कब तक य बी पी एल दान चलल? ये में खुद्दारी कि खुशबू नि हइ। 20 साल में 10 राज, लोग उसै-उसै। नामकि देवभूमि और शहीद भूमि, पर बनैदी शराब भूमि। भ्रष्टाचार टिहरी डैम है लै ठुल।
सवाल22◆ क्वे यसि बात जो मैंन पुछि न और आपूं सब लोगन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● मैं 1971 में हैई 14 दिन'क युद्ध नि भुलि सकन। ये है अलावा लै मैं और द्वि दिन नि भुलि सकन एक- 26 जनवरी 2006 - मरण बाद देह -दान'क फार्म भरौ और 26 जनवरी 2016 - उत्तराखंड में एक रात एक शिल्पकार'कि घर में गुजारी और जलपान लै करौ। य बातक दुख छ कि उ दिन कुछ सवर्णोंलन मैं दगै हात न मिलाय जसी मैंन क्वे ठुल पाप करि दी हुनेल।
सप्रेम धन्यवाद सादर
*^^*^^*^^*
★प्रस्तुति◆राजेंद्र ढैला, काठगोदाम।

No comments:

Post a Comment