मीठी मीठी - 304 : हमरि भाषा प्रचार में "पहरु " कुमाउनी मासिक पत्रिका क सहयोग
हमरि भाषा लगभग 1100 वर्ष पुराणि छ । यैक संदर्भ हमर पास मौजूद छीं । कत्यूरी और चंद राजाओं क टैम में यौ राजकाज कि भाषा छी । आज लै करीब 400 लोग कुमाउनी में लेखनी जनर के न के साहित्य कुमाउनी पत्रिका "पहरू" में छपि गो । भाषा संविधानक आठूँ अनुसूची में आजि लै नि पुजि रइ । प्रयास चलि रौछ । सबूं हैं निवेदन छ कि भाषा कैं व्यवहार में धरो । हमार चार साहित्यकार छीं जनूकैं साहित्य अकादमी भाषा पुरस्कार लै प्रदान हैगो ।
"पहरू" मासिक कुमाउनी पत्रिका लिजी डॉ हयात सिंह रावत (संपादक मोब 9412924897) अल्मोड़ा दगै संपर्क करी जै सकूं । कीमत ₹ 20/- मासिक । य पत्रिका डाक द्वारा घर ऐ सकीं । विगत 11 वर्ष बटि म्यर पास उरातार य पत्रिका पुजैं रै । मि यैक आजीवन सदस्य छ्यूँ । बाकि बात आपूं डॉ हायत सिंह रावत ज्यू दगै करि सकछा और आपणि रचना लै " पहरु " लिजी भेेजि सकछा ।
कुमाउनी भाषा में कविता संग्रह, कहानि संग्रह, नाटक, उपन्यास, सामान्य ज्ञान, निबंध, अनुच्छेद, चिठ्ठी, खंड काव्य, गद्य, संस्मरण, आलेख सहित सबै विधाओं में साहित्य उपलब्ध छ । बस एक बात य लै कूंण चानू कि आपणि इज और आपणि भाषा ( दुदबोलि, मातृभाषा ) कैं कभैं लै निभुलण चैन ।
" पहरु " क जून 2019 अंक कि तस्वीर आपूं मुणि देखि सकछा । य अंक में म्येरि कविता " अंधविश्वास " कैं जागि मिलि रै। संपादक ज्यू और उनरि टीम कैं धन्यवाद ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
04.07.2019
Good...keep updating us...
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