Wednesday 24 July 2019

Dwi adad padmshrre : द्वि अदद पद्मश्री

मीठी मीठी  - 318 :द्वि अदद पद्मश्री चैंछ

   हमार देश में गणतंत्र दिवस क मौक पर चार नागरिक सम्मान दिई जानी – भारत रत्न, पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री | भारत रत्न कैं छोड़ अन्य तीनों हुणि पद्म सम्मान कई जांछ | पद्म सम्मान हर साल ज्यादै है ज्यादै 120 लोगों कैं दिई जै सकूं और वर्ष 2016 में य 112 विभूतियों को दिई गो | क्वे लै एक झणी कैं यूं तीनै सम्मान मिल सकनी लेकिन यैक लिजी कम से कम पांच वर्ष का अंतर हुण चैंछ | पद्म सम्मान मरणोपरांत नि दिई जान |

      य सम्मान क नामांकन हर साल 1 मई बै 15 सितम्बर तक करी जै सकूं जो राज्य या केंद्र सरकार क माध्यम ल हुंछ | राज्य सरकार जिला प्रशासन बै नामांकन मगींछ | यैक अलावा क्वे लै सांसद, विधायक, गैर सरकारी संगठन (एन जी ओ ) या क्वे अन्य व्यक्ति लै आपण स्तर पर कैकणी लै य सम्मान क लिजी नामंकित करि सकूं | प्रधानमंत्री कार्यालय क अंतर्गत बनी एक समिति यैकैं अंतिम रूप दींछ और अंत में प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति यै पर आपणी मुहर लगूनी |

      उत्तराखंड में द्वि यास लोकप्रिय विभूति छीं जनूकैं लोकप्रियता और जन-मानस कि भावना क आधार पर पद्म सम्मान दिई जाण चैंछ |  यूं द्वि लोकप्रिय विभूति छीं श्री हीरा सिंह राणा (हिरदा ) और श्री नरेंद्र सिंह नेगी ( नरेन्दा या नरुदा ) | हिरदा क जन्म 13 सितम्बर 1942 हुणि मनीला (अल्मोड़ा, उत्तराखंड) में हौछ | ऊँ विगत 50 वर्षों बटि आपण गीत- कविताओं क माध्यम ल लोगों क चहेता बनि रईं | उनार कुछ किताब छीं- प्योलि और बुरांश, मानिलै डानि और मनखों पड़ाव में |

      नरेन्दा (नरुदा) क जन्म 12 अगस्त 1949 हुणि गाँव पौड़ी (पौड़ी, उत्तराखंड) में हौछ | नरूदा लै विगत 45 वर्षों बटि आपण गीत-संगीत-कविता क माध्यम ल भौत लोकप्रिय है रईं | नरुदा क कुछ रचना छीं -  खुचकंडी, गांणयूं की गंगा स्याणयूं का समोदर, मुट्ठ बोटी की रख और तेरी खुद तेरु ख्याल |

      यूं द्विनूं में करीब करीब कएक समानता छीं | वर्तमान में द्विये  क्रमश: कुमाउनी और गढ़वाली क शीर्ष गायक छीं, द्विये भौत लोकप्रिय छीं, द्विये राज्य आन्दोलन दगै जुड़ी रईं, द्विये भाषा आन्दोलन में संघर्षरत छीं, द्विये समाज सुधारक छीं, द्विनूं कै कएक कैसेट –सी डी छीं, द्विनूं कै गीत संग्रह लै छीं, द्विये कविता पाठ लै करनीं, द्विनूं कै   उच्च व्यक्तित्व लै छ और द्विये कएक सम्मान और पुरस्कारों ल लै  विभूषित छीं |

        यूं द्विनूं की संघर्ष गाथा पुस्तक रूप में प्रकाशित लै है रै | हिरदा कि संघर्ष यात्रा ‘संघर्षों का राही’ (संपादक-चारु तिवारी, प्रकाशक- उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली) और नरुदा कि संघर्ष यात्रा ‘नरेंद्र सिंह नेगी की गीत यात्रा’ (संपादक- डा.गोविन्द सिंह, उर्मिलेश भट्ट, प्रकाशक- बिनसर पब्लिशिंग क.देहरादून ) क लोकार्पण है चुकि गो | यूं  पंक्तियों क लेखक कैं यूं द्विये विभूतियों क दगाड़ काव्यपाठ करण क मौक लै मिलौ | अत: उत्तराखंड क यूं द्विये विभूतियों कैं वर्ष 2020 क गणतन्त्र दिवस पर पद्मश्री सम्मान ल अलंकृत करी जाण चैंछ | यैक लिजी उत्तराखंड सरकार कैं जल्दि है जल्दि उचित कदम उठूण चैंछ | 

( य चिठ्ठी 2016 बटि  हर साल लेखनू । कभैं त सुनाल माथ भैटी सैब लोग ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल, रोहिणी दिल्ली 
11.02.2016 /24.07.2019

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