Wednesday 17 July 2019

Chandr grahan kyon : चन्द्र ग्रहण क्यों ?

मीठी मीठी - 311 : चन्द्र ग्रहण क्यों ?

      मेरे परम मित्र और मार्गदर्शक आदरणीय वाई पी नैनवाल जी का चन्द्र ग्रहण के बारे में सोसल मीडिया से एक लघु लेख यहां उद्धृत है । चन्द्र ग्रहण 16 और 17 जुलाई 2019 की दरम्यानी रात को हुआ था । कुछ मित्रों ने इस खगोलीय घटना पर " सूतक" मनाया और कुछ ने पौधरोपण कर धरती का हरित श्रंगार किया । हम विज्ञान के युग में विज्ञान प्रदत वस्तुओं का खूब आनंद ले रहे हैं परन्तु रूढ़िवादिता में हम सदियों पुराने ढर्रे पर चलने की बात करते हैं । सोच आपकी, मर्जी आपकी । चन्द्र ग्रहण को तो जान ही लीजिए ।
      
   नैनवाल साहब बताते हैं, " हर चन्द्र ग्रहण पूर्णिमा को पड़ता है और सूर्य ग्रहण अमावस्या को पड़ता है। विदित हो कि पिछली अमावस्या को सूर्य ग्रहण था। चन्द्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है ।

     चन्द्रमा की चौसठ कलाएं हैं। चन्द्रमा किसी निश्चित पथ पर नहीं घूमता है। चन्द्रमा अपनी परिधि पर 27 दिन 7 घण्टे 43 मिनट 11 सेकंड में पूरी करता है और पृथ्वी की परिक्रमा भी इतने ही समय में पूरी करता है, इसलिए तुम्हे चन्द्रमा का एक ही हिस्सा दिखाई देता है।

      तुम देखोगे की आजकल सूर्य उत्तर कर्क रेखा से वापिस भूमध्य रेखा की ओर चल रहा है। सूर्य नहीं चल रहा है लेकिन पृथ्वी झुकी होने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। इसीलिए चन्द्रमा जब पृथ्वी से अधिक दूर होता है तो उसे अपोगी (apogee) कहते हैं और जब चन्द्रमा पृथ्वी से बहुत निकट होता तो उसे  पेरिगी (perigee ) कहते हैं।

      ये ग्रहण एक ही जगह हमेशा नहीँ होते हैं।उसका कारण है कि चन्द्रमा का एक पथ पर नहीं चलना। पृथ्वी अपनी धूरी पर 23 घण्टे, 56 मिनट, 4.1सेकंड में पूरी करती है और सूर्य की परिक्रमा 365 दिन, 6 घण्टे , 9 मिनट 9.76 सेकंड में पूरी करता है। सौर सिद्धान्त में 360 दिन का एक वर्ष होता है और अंग्रेजी में 365 दिन 6 घण्टे 9 मिनट 9.76 सेकंड का होता है। इसी अंतर के कारण अधिमास होता है।"

        इसके अलावा और अधिक जानकारी चाहने वाले  जिज्ञासु कृपया नैनवाल साहब से संपर्क कर सकते  हैं, fb पर इसी नाम से उपलब्ध हैं । अतः किसी भी ग्रहण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण समझा जाय और सूतक की बात न कहीं जाय । बाकी किसी की मर्जी । धन्यवाद ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
18.07.2019

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