Wednesday 3 July 2019

avaidh nirmaan aur nyayalay :अवैध निर्माण और न्यायालय

बिरखांत - 271 : अवैध धार्मिक निर्माण और न्याया लय


        भगवान महावीर जैन, भगवान् गौतम बुद्ध और गुरु नानक देव जी, हिन्दू धर्म से अलग हुए तीन पंथों की नींव डालने वाले महमनीषियों को हम जानते हैं  | महावीर जैन का जन्म 599 ई.पू. हुआ और 72 वर्ष की आयु में 527 ई.पू. में महाप्रयाण हुआ | ‘जीओ और जीने दो’ के सिद्धांत पर सत्य, अहिंसा एवं कर्म पर चलने तथा लालच, झगड़ा, छल-कपट और क्रोध से दूर रहने का उन्होंने संदेश दिया | भगवान् बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में तथा 80 वर्ष की आयु में 483 ई.पू. में देहावसान हुआ | उन्होंने भी अहिंसा एवं उच्च चरित्र का उपदेश दिया और अंगुलीमाल जैसे मानव हत्यारे का हृदय परिवर्तन कर उसे संत बनाया | गुरुनानक देव जी का जन्म 1469 ई. में हुआ और 70 वर्ष की आयु में 1539 ई. में उनका देहावसान हुआ | उन्होंने ‘ईमानदारी से कमाओ, बाँट कर खाओ और परमात्मा को याद करते हुए जनहित में कर्म करते जाओ’ का संदेश दिया |

     इन तीनों ही महामनीषियों ने हिन्दू समुदाय में व्याप्त अंधविश्वास, कुरीतियां, आडम्बर और दिखावा से कुपित होकर नए पंथ की स्थापना की | लगभग 2500 वर्षों से इन्हीं के तरह कई संतों ने हमारी कमियों को उजागर किया, हमें कई बार जगाया परन्तु हम नहीं बदले | आज हमारे ही बीच से आर्य समाज के अनुयायी भी अंधविश्वास और रूढ़िवाद को मिटाने में बहुत संघर्ष के साथ जुटे हैं | 

     अंधविश्वास ने हिन्दू धर्म को बहुत नुकसान पहुँचाया है | मंदिरों में महिला और दलित प्रवेश पर पाबंदी, पूजालयों में पशु बलि, मूर्तियों का दूध- तेल अभिषेक, वर्षा कराने के नाम पर विशालकाय यज्ञ, स्वर्गलोक की कल्पना, गंडे -ताबीज और तंत्र के माध्यम से लूट, जल-स्रोतों में शव, शव-राख और अन्य वस्तुओं का विसर्जन आदि जैसे कई अंधविश्वासों के सांकलों में समाज आज भी बंधा है जिसे कुछ को छोड़ सभी के मूक समर्थन प्राप्त है |

     धर्म के नाम पर हमारी इन विसंगतियों को देश का सर्वोच्च न्याय मंदिर भी जानता है | तीन वर्ष पहले एक राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की खिचाई इसलिए की क्योंकि इन्होने अदालत के उस निर्देश का पालन नहीं किया जिसमें कहा गया था कि वे सार्वजनिक सड़कों और फुटपाथों पर बने अवैध धार्मिक निर्माण/ढांचों को हटाने की दिशा में उठाये गए क़दमों की जानकारी दें | न्यायालय वर्ष 2006 में दायर उन याचिकाओं की सुनवाई कर रहा था जिसमें सार्वजनिक स्थानों एवं सड़क के किनारे से पूजास्थल समेत अनाधिकृत ढांचों को हटाने का पहले ही आदेश दिया था ।

     आज कोई भी व्यक्ति धर्माचार्य बन कर  तांत्रिकता और अंधविश्वास को पोषित करता है | गुटखा मुंह में डाले अपने तथाकथित प्रवचन में चोरी से बिजली का कनकसन लेकर चोरी नहीं करने का संदेश देता है तथा अंधविश्वास फैलाता है | समय की मांग है कि एक आर एम पी (रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिसनर) की तरह  इनके लिए भी शिक्षा का स्तर और योग्यता सुनिश्चित की जानी चाहिए तथा इसी आधार पर इन्हें लाइसेंस दिया जाना चाहिए जिससे देश और समाज का हित हो तभी दुनिया हमें सपेंरों का देश कहना बंद करेगी |

     हम देखते हैं किसी भी सड़क के किनारे पेड़ के नीचे एक गेरू लगे पत्थर को तीन पत्थरों से ढक कर उसी शाम वहाँ पर एक दिया जलाकर मंदिर तैयार हो जाता और दूसरे दिने वहां एक चरसिया व्यक्ति गेरुवे वस्त्र पहन कर बैठ जाता है जिसे लोग तुरंत बाबा कहने लगते हैं | यह बाबा कौन है कोई नहीं पूछता | हमें इस मुहीम में मुंह खोलना चाहिए और किसी भी धर्म की मान- मर्यादा को ठेश पहुँचाने वालों को सामूहिक तौर से बेनकाब करना चाहिए | धर्माचार्यों से भी विनम्र अपील है कि वे समाज में व्याप्त अन्धविश्वास के विरोध में जनजागृति कर राष्ट्र –हित में योगदान दें |

पूरन चन्द्र काण्डपाल

04.07.2019

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