Tuesday 16 July 2019

Kekado par prtikriya : केकड़ों पर प्रतिक्रिया

खरी खरी - 463 :   गिगाजों (केकड़ों ) पर प्रतिक्रिया

    14 जुलाई 2019 के ट्वीट (T670)  "महाराष्ट्र में तिवारा बांध के केकड़ों को नमन जिन्होंने सरकार को जवाबदेही और ठेकेदार को भ्रष्टाचार से बचा कर जुर्म गले लगाया। " पर मित्र उजराडी जी ने बहुत सटीक प्रतिक्रिया दी है जिसे आज की खरी खरी में साभार उद्धृत किया जा रहा है ।

     उजराडी जी की प्रतिक्रिया - " पक्षी हमारे देश में अपना पाशविक धर्म निभा रहे हैं । बंदरों ने कई सरकारी आफिसों में सारी बलाएँ अपने ऊपर ली हैं । पंखे, ट्यूब लाइट, सरकारी कागजात खराब करने का जिम्मा अपने सर ले लिया है । चूहे थानों में ज़ब्त शराब पी रहे हैं और अनाज गोदामों में करोड़ों लोगों का राशन चट कर रहे हैं । दीमक ने थानों में जब्त नशीले पदार्थों को मिट्टी बना दिया है । आवारा कुत्तों ने कागजों में हुई नशबंदी का सेहरा अपने सर बांध लिया है । हस्पतालों में कुत्ते व बंदरों के काटे एंटी रैबीज इंजेक्शनों की खरीद व खपत ने कइयों की पौ- बारह कर रखी है । आया चाहती है कि बच्चा बच्चा ही रहे अन्यथा बच्चे के बड़े होने पर उसकी छुट्टी हो जाएगी । आवारा गायों व गोवंशों के कागजों में चल रहे संरक्षण व पोषण की कालिख को सफेद कर दिया है । गोरैया संरक्षण, बाघ बचाओ नये नये बचाव कार्य चल रहे हैं । गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है, समरथ को नहिं दोष गुसाईं ।  चुनावी रेवड़ियां बंट रही हैं । वोटों की फसल लहलहा रही है । लोकतंत्र हांफ रहा है । "

      महाराष्ट्र के तिवारा बांध के केकड़ों द्वारा  कुरेदे जाने /तोड़े जाने की बात पर एक व्यंग्य समाचार पत्र में छपा था । अर्थात तंत्र ने सारा दोष केकड़ों पर मड़ दिया गया और सभी जिम्मेदार लोग बखूबी बच गए । आज देश में कोई पुल टूटे, बांध या नहर टूटे, सड़क टूटे, सरकारी इमारत टूटे, जंगल में आग लगे, गोसाला में गोवंश मरे, अस्पताल में बच्चे बेमौत मरे,  इस सब के लिए तंत्र को कभी भी दोषी नहीं ठहराया जाता बल्कि तंत्र या जिम्मेदार लोगों को बचा कर दोष केकड़ों या कुदरत या अज्ञात कारणों को दे दिया जाता है । मेरा देश महान ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
16.07.2019

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