खरी खरी - 465 : गिच खोलणी चैनी
मसमसै बेर क्ये नि हुन
बेझिझक गिच खोलणी चैनी,
अटकि रौछ बाट में जो दव
हिम्मतल उकैं फोड़णी चैनी ।
अन्यार अन्यार कै बेर
उज्याव नि हुन,
अन्यार में एक मस्याव
जगूणी चैनी ।
मसमसै..
जात - धरम पर जो
लडूं रईं हमुकैं,
यास हैवानों कैं भुड़ जास
चुटणी चैनी ।
मसमसै ...
गिरगिट जस रंग
जो बदलैं रईं जां तां,
उनुकैं बीच बाट में
घसोड़णी चैनी ।
मसमसै...
क्ये दुखै कि बात जरूर हुनलि
जो डड़ाडड़ पड़ि रै,
रुणी कैं एक आऊं
कुतकुतैलि लगूणी चैनी ।
मसमसै बेर...
पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.07.2019
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