Thursday 4 July 2019

Andh bhakti ka karobaar : अंध भक्ति का कारोबार

खरी खरी - 455 : अंधभक्ति का कारोबार

      अब हम सब जान गए हैं कि हमारे देश में पहले जैसी निःस्वार्थ जनहित की भक्ति नहीं है बल्कि आज भक्ति का अरबों रुपये का कारोबार है जिसमें कई प्रकार की कानूनी या गैरकानूनी छूट है । 50 मीटर जमीन के भुगतान पर 5000 मीटर तक कब्जाया जाता है ,सिर्फ नेताओं की मेहर होनी चाहिए । मेहर होती है क्योंकि बाबाओं के पास वोट बैंक है । पाकिस्तान से आकर चाय की दुकान से तांगा चलाते हुए एक ढोंगी बाबा 400 आश्रमों का मालिक बनते हुए ₹.15000 करोड़ का स्वामी बन गया । नेता सिर झुकाते गए और वोट लेते गए ।

     पिछले कुछ ही वर्षों में  कई कथित संत पाखण्ड में सवार होकर जमीन हड़पते हुए अपना साम्राज्य गढ़ गए । इन्होंने ताबीज, अगरबत्ती, साबुन, दवाइयां, तथा धार्मिक सामान जैसे माला, फोटो, कड़े और पत्र- पत्रिकाएं बेचीं । इस कारोबार में सबसे अधिक अंधविश्वास की बिक्री हुई ।  पहले संत कुटिया में रहते थे परन्तु आज के ढोंगी बाबा पंचतारा महलों में रहते, हवाई यात्रा करते हुए ऐयासी पर उतर आए हैं और जो कुकृत्य वे कर रहे हैं वह सबके सामने है । इनके अंधभक्त हिंसा पर उतर आते हैं । मथुरा के जवाहर बाग में दो दर्जन लोग मारे गए थे । जोधपुर में 21 अप्रैल 2018 से हाइ अलर्ट के साथ एक हफ्ते के लिए धारा 144 लगानी पड़ी । इनकी अनंत कथा है । इनके कारण कुछ दिव्य पुरुष भी बदनाम होते हैं जो वास्तव में जनहित करते हैं ।

     अतः हमें इस तथाकथित भक्ति के कारोबार से सचेत रहना होगा । भगवान से मिलाने और भवसागर से पार करने के इनके झांसे को आज हमें समझने की आवश्यकता है । जिस पीड़िता का चीर हरण इस पाखण्डी ने किया उसका परिवार भी इस ढोंगी का अनन्य भक्त था । ऐसे ही देश में कई लोग अंधभक्ति के शिकार हैं । सत्य तो यह है कि किसी को भी इन आश्रमों या बाबाओं के पास जाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए । योगेश्वर श्रीकृष्ण के संदेश का स्मरण करते हुए हमें स्वयं को कर्म के सुमार्ग पर गतिमान रखना चाहिए अन्यथा ये स्वयं को भगवान का एजेंट बताने वाले ढोंगी बाबा भगवान के नाम पर आपकी लूट-खसूट करते रहेंगे । जब जागो तब सवेरा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

05.07.2019

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