Monday 29 July 2019

Kukritya kee saja maut : कूकृत्यकी सजा मौत

खरी खरी -  467 : कुकृत्य की सजा-ए-मौत में रुकावट क्यों ?

     दुष्कर्म (रेप) ने हमारे देश में अब एक समस्या का रूप ले लिया है । 95% आरोपी तो पीड़िता के रिश्तेदार, पड़ोसी, सहपाठी, सहकर्मी या पहचान वाले होते हैं । अब किस पर भरोसा करें । आज हम उस दौर से गुजर रहे हैं जब नारी वर्ग को हर किसी भी पुरुष को संदेह की दृष्टि से देखना चाहिए कि वह उसके लिए कभी भी घातक हो सकता है ।

     अधिक दुःखद तो तब होता है जब ये नरपिशाच दुधमुंही बच्चियों को इस कुकृत्य का शिकार बनाते हैं । कुछ दिन पहले इंदौर में एक 26 वर्षीय नरपिशाच ने एक 4 माह की बच्ची के साथ दुष्कर्म करके उसकी हत्या कर दी । यह नरपिशाच उस बच्ची के परिजनों को जानता था ।

     वारदात के 22 दिन बाद 12 मई 2018 को इंदौर की जिला अदालत ने इस नरपिशाच हत्यारे को फांसी की सजा सुनाई है ।  मानवता को शर्मसार करने वाले इस कांड में पुलिस ने बड़ी तेजी से जांच पूरी की और आरोप पत्र अदालत में पेश कर दिया । न्यायालय ने अपने 51 पृष्ठ के फैसले में इसे जघन्य, वीभत्स, क्रूर और जंगली कृत्य बताते हुए आरोपी को मृत्युदंड दिया । अब आगे भी इस कांड पर द्रुत कार्यवाही हो और सजा का क्रियान्वयन शीघ्रता से हो । 7 वर्ष हो गए हैं  2012 के निर्भया कांड के दोषी अभी भी जिंदा हैं ।  अदालत का फैसला तो मात्र 22 दिन में आ गया, अब देखते हैं कि इंदौर के इस बालात्कारी हत्यारे को कब फांसी पर लटकाया जाता है ?

     देश में यौन उत्पीड़न में मृत्युदंड पाए एक बलात्कारी हत्यारे जिंदा हैं । एक सर्वे के अनुसार देश में हर तीन में से एक किशोरी सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न को लेकर चिंतित रहती है जबकि 5 में से एक किशोरी बलात्कार सहित अन्य शारीरिक हमलों को लेकर डर के साये में जीती है । वर्तमान में नारी यौन उत्पीड़न में देश का बहुत बुरा हाल है ।

     देश की 40% लड़कियों को लगता है कि पुलिस उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लेगी या उल्टे उन पर ही आरोप लगाएगी । 25% लड़कियों को लगता है कि उनका कभी भी शारीरिक शोषण और बलात्कार हो सकता है । इस तरह का डर प्रत्येक लड़की के मन में चौबीसों घण्टे मौजूद रहता है । इस भयावह स्तिथि के लिए हम सब जिम्मेदार हैं क्योंकि इस अपराध को करने वाला कोई पुरूष ही तो है । अपनी बेटियों की इस भयावह हालत की चर्चा हम अपने बेटों से तो कर ही सकते हैं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
30.07.2019

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