Sunday 30 June 2019

pappu karki : पप्पू कार्की

मीठी मीठी - 299 : एक निभुलणी आवाज: पप्पू कार्की (जयंती 30 जून ) विनम्र श्रद्धांजलि ।

     पप्पू कार्की (पवेंद्र सिंह कार्की) कुमाउनी भाषाक एक होनहार गिदार, गीतकार और संगीतकार जतुक जल्दि सुर्खियों में आईं, लोगोंक दिलों में घुसीं, प्रसिद्ध हईं उतुक्वे जल्दि याँ बै न्है लै गईं । कैल यसि कल्पना लै नि करि हुनलि पप्पू कार्कीक बार में । आजि मात्र 34 वर्षकि छि उनरि उमर । 30 जून 1984 हुणि ऊं य दुनिय में आईं और 9 जून 2018 हुणि याँ बै हिटि दे । उनूल आखिरी गीत- संगीत कार्यक्रम हेड़ाखानक नजीक करौ । ऊं उत्तराखंड में पिथौरागढ़ ज़िल्लक सेलावन गौंक एक अद्भुत किस्मक गिदार छी । विनम्र श्रद्धांजलि ।

     9 जून 2018 हुणि जब पप्पू कार्कीकि कार दुर्घटना में मौत हुणकि खबर लोगोंक पास पुजी तो कैकं यकीन नि आय । जब सोसल मीडिया में दुर्घटनाक तस्वीर देखण में आईं तब यकीन आछ । पप्पू कार्कीक दगाड़ में द्वि अन्य लौंड लै य दुर्घटना में मारी गईं । पप्पू कार्की एक सरल, सहज और सिद्साद स्वभावक मैंस छी । दुनिय उनरि आवाज क दगाड़ उनरि विनम्रताक लै कायल छी । उनर हर बखतक हँसणी मुखड़ क्वे भुलि नि सकन । 

     बचपन बटि कुमाउनी गीतों क तरफ उनर झुकाव छी । उनार गीतों में निखालिश कुमाउनी क आभाष हुंछ । उं कुमाउनी लोकगीतों दगाड़ कुमाउनी गीतकारोंक ध्वज वाहक लै बनि गाछी । उनूल गरीबीक कारण नानछिना बटि भौत दुख लै उठा । पेट्रोल पम्प, प्रेस समेत उनूल चपरासीकि नौकरी लै करी पर गीत गुनगुनाण उनूल नि छोड़ । उनार ल्वे में गीत-गंगा बगनै रैंछी । रामलिल समेत कएक मंचों में उनूल शुरुआत में आपण गीत लोगों कैं सुणाईं ।

     2017 में उनूल हल्द्वाणि में एक स्टूडियो कि स्थापना करी जां उं गीत- संगीतक नई -नईं प्रयोग करछी और कुमाउनी गायकों कि नई पौध तयार करणक स्वैण देखछी । उनूल पहाड़कि प्योलि- बुरांस, गाड़- गध्यार, डान -धार, बांज-काफोव, संस्कार-संस्कृति समेत पुर पहाड़ कैं आपण गीतों में जागि दीणक भौत भल प्रयास करौ । उनार गीतों में पहाड़ कि सैणीकि पीड़ साफ झलकछी । अंग्रेज कवयित्री इमिली डिकेंसनक अनुसार जब तली पीड़ निहुनि तब तली मन में पीड़क भाव पैद निहुन । य ई बात उनार बार में लै देखण में ऐंछ । उनूल न्यौलि, झवाड़, बैर, चांचरी शास्त्रीय गायन आदि गीत- संगीतक सबै विधाओं कैं आपण शब्द और स्वर दे । उनरि आवाज में एक अजीब किस्मकि अद्भुत कसक छी जो लोगोंक दिल तली पुजिछी । 'म्येरि हिरू' झवाड़ कैं उनूल एक मधुर संगीत और आवाज दीबेर भौत लोकप्रिय बना । उतरैणी कौतिक, सुणिलै दगड़िया, रंगिल जोहरा, मधुली जास कएक गीतोंल उनरि आवाज अमर करि दी ।

     एक भौत छोटि उमर में हमार बीच एक भौत ठुलि अनवार छोड़ि बेर य जनमानस क मुसाफिर कभैं अदप-अलोप नि है सकन । पप्पू कार्कीकि आवाज हमार बीच रामगंगक पाणीक कल-कल छल -छल और बांज - बुरुंसक सुसाट-भुभाटकि चार हमेशा ज्यौन रौलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

30.06.2019

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