Wednesday 19 June 2019

Rep kee do jaghny vardaat : रेप की दो जघन्य वारदात

बिरखांत  270  : रेप की दो जघन्य वारदात

      प्रतिदिन प्रिंट और टीवी मीडिया रेप की अनगिनत वारदातों से भरा रहता है । लगता है इस दौर में एक अमानुषिक युग चल पड़ा है जहां एक 6 माह की बच्ची से लेकर 80 वर्ष की वृद्धा तक भी दुष्कर्म का शिकार हो रही है । रेप की दो घटनाओं को साझा करना चाहता हूं ताकि कुछ सीख समाज तक पहुंचे ।

      पहली घटना बदायूं के पास दाता गंज थाने की है । एक महिला का धोखे से विश्वास में लेकर तीन लोगों ने रेप किया । पति ने भी  महिला का साथ नहीं दिया और उसे असहाय छोड़ दिया । महिला के साथ 15 मई  2019 को ये हादसा हुआ । तीन दरिंदों से बच कर महिला थाने पहुंची तो कोतवाल ने रिपोर्ट नहीं लिखी और फटकार कर भगा दिया । अंत में असहाय महिला ने चार पेज का सुसाइड नॉट लिखा और 16 जून 2019 को आत्महत्या कर ली । बाद में पुलिस ने रिपोर्ट लिखी ।

     दूसरी घटना मुरैना जिले के सबलगढ़ की है जहां बरसाना के एक भागवत कथा करने वाले 40 वर्ष के पाखंडी ने 16 वर्ष की कन्या से 3 दिन तक दुष्कर्म किया । यह पाखंडी कन्या के व्यवसायी पिता के घर भागवत के दौरान आवास करता था । माता - पिता की अनुपस्थिति में इसने उस कन्या को फुसलाया । बाद में यह पाखंडी इस लड़की से मोबाइल में बात कर ब्लैक मेल करने लगा । इसी ब्लैक मेल में उसने लड़की से सवा लाख रुपए और मां के जेवरात लेकर बरसाना बुलाया जहां पिता ने कैलारस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई और अपनी नाबालिग बेटी को बरामद किया । पुलिस ने उस पाखंडी को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया है ।

     इन दो घटनाओं से कौन दुखित - विचलित नहीं होगा ? कोतवाल यदि उस महिला की रिपोर्ट लिख लेता तो वह आत्महत्या नहीं करती । भागवत कथा के नाम पर हम आज भी पाखंडियों को क्यों नहीं पहचान रहे ? इसी अंधश्रद्धा से लड़की का रेप हुआ । माता - पिता ने घर में लड़की को अकेले क्यों छोड़ा ? इसलिए कि वह पाखंडी भगवान का अवतार है और भागवत कथा सुनाता है । जजमान बना कर विश्वासघात किया और जजमान की बेटी को अपनी वासना का शिकार बनाया ।

        समाज से इन दो घटनाओं के माध्यम से सिर्फ इतना कहा जा सकता कि पुलिस महिलाओं की व्यथा आज भी नहीं सुनती है और लोग अंधश्रद्धा में अब भी वशीभूत हो जाते हैं  । आज हम उस दौर से गुजर रहे हैं जब किसी पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता भलेही वह कोई सगा रिश्तेदार ही क्यों न हो ?

पूरन चन्द्र कांडपाल
20.06.2019

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