Tuesday 4 June 2019

Paanee bachaao : पानी बचाओ

खरी खरी - 437 : पानी बचाओ :  बिन  पानी सब सून

     इस वर्ष गर्मी सातवें आसमान पर है । आज भी दुनिया के डेड़ अरब से अधिक लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है । हम कंक्रीट के जंगल बनाते जा रहे हैं । नदी, तालाब, बवाड़ी, चश्मे, कुएं पहले ही रसायनों की भेंट चढ़ चुके हैं या स्वतः लुप्त हो चुके हैं । वर्षा जल को हम संरक्षित नहीं कर पा रहे हैं । जमीन के अंदर के पानी का स्तर गिर रहा है । एक टन अनाज उत्पादन के लिए एक हजार टन पानी की आवश्यकता होती है । हमारे देश में पहले हजारों नदियां थीं जो अब सैकड़ों में रह गईं हैं । पानी की मांग अधिक है जिसकी पूर्ति हो नहीं सकती ।

      एक ही रास्ता है कि हम पानी की उपयोगिता को समझते हुए पानी बचाएं अर्थात कम पानी प्रयोग करें और पानी की बरबादी न होने दें । 'बूंद बूंद से घड़ा भरता है ' यह हम जानते हुए भी अपने घर में कपड़े धोने, नहाने, बर्तन धोने, गाड़ी धोने में बहुत पानी बरबाद करते हैं । दाड़ी बनाते समय और दांत ब्रश करते समय भी हम नल खुला छोड़ देते हैं ।  कल्पना करिये जब पानी नहीं रहेगा तो हम जीवित नहीं रह सकेंगे । इसलिए 'जल ही जीवन है' वाली बात को गंभीरता से मंथन करें और अपनी भावी पीढ़ी के लिए भी कुछ जल छोड़ जाएं । रहीम जी ने हमें बहुत पहले चेताया है-

रहीमन पानी राखिये
बिन पानी सब सून,
पानी गए न ऊबरे
मोती मानुष चून ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
04.06.2019

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