Monday 24 June 2019

Jindgi k haal : जिंदगी क हाल

खरी खरी - 447 : जिंदगी क हाल (3,आंखिरी किश्त )

जिन्दगी उकाव
जिन्दगी होराव
कभैं अन्यार औंछ यैमें
कभैं  छ उज्याव ।

कैहूणी किरमाडू छ यौ
कैहूणी कांफोव,
कैहूणी बगिच कैहूणी
घनघोर जंगोव ।
कैहूणी धान कि बालड़ि
कैहूणी पराव ।
जिन्दगी...

कैहूणी छ झोल यैमें
कैहूणी गुलाल,
क्वे उडूँ रौ मुफत की
कैक हूं रौ हलाल ।
क्वे मानछ धान ख़्वारम
क्वे लगूं दन्याव ।
जिन्दगी...

उकाव -होराव मजी
सब छीं रिटनै,
कैं दगड़ी मिलि जानी
हिटनै - हिटनै ।
जै पर यकीन करौ
वील करौ छलाव ।
जिन्दगी...

के तू यां लि बेर आछै
के तू यां बै लि जलै
के ट्वील यां कमा
सब यां ई छोडि जलै।  
तेरि  नेकी बदी कौ
रै जालौ लिखाव ।
जिंदगी...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.06.2019

(कविता निमड़िगे)

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