मीठी मीठी - 290 : पांच कुमाउनी दोहे
कविता मन कि बात बतैं,
कसै उठी हो उमाव ।
बाट भुलियां कैं बाट बतैं,
ढिकाव जाई कैं निसाव ।।
द्वि आंखर हँसि बेर बलौ,
बरसौ अमृत धार ।
गुस्सम निकई कड़ू आंखर,
मन में लगूनी खार ।।
लालच जलंग पाखंड झुटि,
राग- द्वेष अहंकार ।
अंधविश्वास अज्ञान भैम,
डुबै दिनी मजधार ।।
धरो याद इज बौज्यू कैं,
शिक्षक सिपाइ शहीद ।
दुखै घड़िम लै भुलिया झन
धरम करम उम्मीद ।।
याद धरण उ मनखी चैंछ,
मदद हमरि करी जैल ।
हमूल मदद जो कैकि करि,
उकैं भुलण चैं पैल ।।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
011.06.2019
म्येरि किताब 'मुकस्यार'
कुमाउनी कविता संग्रह (2011)
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