Sunday 31 October 2021

Sadak durghatanayen : सड़क दुर्घटनाएं

बिरखांत- 410 : कब थमेंगी सड़क दुर्घटनाएं ?

( 31 अक्टूबर 2021 को चकराता उत्तराखंड में एक ही गांव के 13 व्यक्ति सड़क दुर्घटना की बलि चढ़ गए।  बहुत दुखद । बहुत ही पीड़ादायक। )


 


      देश में एक सर्वे के अनुसार हमारे देश में प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटना में करीब एक लाख तीस हजार (350 मृत्यु प्रतिदिन अर्थात प्रति चार मिनट में एक मृत्यु ) लोग अपनी जान गंवाते हैं | इस तरह बेमौत मृत्यु में हमारा देश विश्व में सबसे आगे बताया जाता हैं | कैंसर, क्षय रोग, मधुमेह, हृदय गति व्यवधान आदि रोंगों के बाद देश में सड़क दुर्घटना में मरने वालों के संख्या आती है | इस बेमौत मृत्यु में दुपहिया वाहन चालक/सवार सबसे अधिक हैं जिसमें 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों की मृत्यु दर 12 % है | सड़क दुर्घटना में करीब पांच लाख लोग घायल होते हैं जिनमें अधिकाँश अपंग हो जाते हैं | दो वर्ष पहले केन्द्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की अकाल मृत्यु भी 3 जून 2014 को सड़क दुर्घटना में हुयी थी | वर्तमान में कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता जब हम टी वी में क्षत-विक्षत शव तथा चकनाचूर हुए वाहनों के दृश्य नहीं देखते हों |


 


     देश की राजधानी में प्रतिदिन सड़क दुर्घटना में पांच लोग मरते हैं जिनमें औसतन दो पैदल यात्री और दो दुपहिया चालक हैं | प्रति सप्ताह दो  साइकिल चालक तथा एक कार चालक सड़क दुर्घटना में मरता है | सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण हैं बिना लाइसेंस के वाहन चलाना, वाहन चलाने का अल्पज्ञान होना, सिग्नल जम्पिंग, वाहन से सिग्नल नहीं देना, ओवर स्पीड (गति सीमा से अधिक ), ओवर लोड, शराब पीकर वाहन चलाना, रोड रेस (एक दूसरे से आगे निकलने की जल्दी), सड़क पर गलत पार्किंग, चालक की थकान या झपकी आना, लापरवाही, डेक का शोर अथवा मोबाइल पर ध्यान बटना आदि | विपरीत दिशा से आरहे वाहन की गलती, हेलमेट कोताही, सड़क के गड्डे, तथा मशीनी खराबी आदि भी भीषण दुर्घटना के अन्य कारण हैं |  


 


     इन सब दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है लोगों में क़ानून का डर नहीं होना | हमारे देश के लोग विदेश जाते हैं और वहाँ के नियम-क़ानून का पालन बखूबी करते हैं | स्वदेश आते ही यहां के क़ानून को अंगूठा दिखा देते हैं क्योंकि यहां क़ानून का डर नहीं है | सब जानते हैं कि शराब पीकर वाहन चलाने सहित सभी सड़क सुरक्षा के नियमों की अवहेलना में जुर्माना है परन्तु लोगों को जुर्माने की चिंता नहीं है | उन्हें घूस देकर छूटने का पूरा भरोसा है या जुर्माने की रकम अदा करने के फ़िक्र नहीं हैं | प्रतिवर्ष लाखों चालान भी कटते हैं |

      हमारे देश में बच्चे अपने अभिभावकों का वाहन खुलेआम चला कर दुर्घटना में कई निर्दोषों को मार देते हैं | कई बार बड़ी तेजी से उड़ती मोटरबाइक में एक साथ बैठे छै- सात बच्चे सड़क पर जोर जोर से हॉर्न बजाते हुए देखे गए हैं | इन दुपहियों में कार या ट्रक का हॉर्न लगाकर, रात हो या दिन जोर जोर से हॉर्न बजाते हुए उड़ जाना इन बिगडैल बच्चों का फैशन बन गया है | पुलिस या तो होती ही नहीं या देख- सुन कर भी अनजान बनी रहती है | अब जब दुर्घटनाओं की अति हो गई तब इन नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने पर अभिभावकों को दण्डित करने की मांग उठ रही है | सड़कों पर गड्ढे भी दुर्घटना का मुख्य कारण बन गए है जिन्हें शीघ्र भरा जाना चाहिए ।


 


     इस बीच उत्तराखंड में भी सड़क दुर्घटनाएं थम नहीं रही हैं। आए दिन कोई न कोई सड़क दुर्घटना में जान - माल का नुक़सान होता है। कल 31 अक्टूबर 2021 को चकराता के पास एक सड़क दुर्घटना में  बुलेरो में सवार 15 में से 13 व्यक्तियों की जान चली गई। बताया जाता है कि ये सभी 13 व्यक्ति एक ही गांव के थे। यह दुर्घटना ओवर लोडिंग के कारण बताई जा रही है। इतने लोग इस बुलेरो में क्यों बैठे होंगे या क्यों बिठाए होंगे ? यातायात पर नजर रखने वाले कहां होंगे ? इस दुर्घटना से कई घर उजड़ गए हैं | बारात, पर्यटन, तीर्थाटन, व्यवसाय आदि से जुड़े कई वाहन आये दिन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं | इसका कारण भी सभी सड़क सुरक्षा के नियमों की अवहेलना ही है | इन सभी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हमें अपने घर से शुरुआत करनी पड़ेगी | अपने नाबालिग बच्चों को भूलकर भी कोई वाहन नहीं दें ताकि सड़क पर कोई अनहोनी न हो | लाइसेंस प्राप्त बालिंग बच्चों का प्रशिक्षण भी उत्तम होना चाहिए | आप स्वयं भी वाहन चलाते समय संयम रखें क्योंकि दुर्घटना से देर भली | स्मरण रहे आपका परिवार प्रतिदिन आपकी सकुशल घर वापसी के इंतज़ार में रहता है |

पूरन चन्द्र काण्डपाल


01.11.2021


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