ख़री खरी - 948 : "मान्यता है" लिखने वाले नर
अतीत में जितना भी महिलाओं को पुरुषों से कमतर दिखाने की बात कही-लिखी गई उसको लिखने वाले नर थे । सबकुछ अपने मन जैसा लिखा, जो अच्छा लगा वह लिखा । एक शब्द है "मान्यता" है । 'बहुत पुरानी मान्यता है' कहा जाता है । ये कैसी मान्यताएं थी जब औरत को बेचा जाता था, जुए के दाव पर लगाया जाता था, बिन बताए गर्भवती को घर से निकाला जाता था, उस पर मसाण लगाया जाता था, उसे लड़की पैदा करने वाली कुलच्छिनी कहा जाता था, उससे सती -जौहर करवाया जाता था और उसे मुँह खोलने से मना किया जाता था । महिला ने कभी विरोध नहीं किया । चुपचाप सुनते रही और सहते रही ।
अब हम वर्तमान में जी रहे हैं । अब सामंती राज नहीं, प्रजातंत्र है । 74% महिलाएं शिक्षित हैं । श्रध्दा के साथ किसी भी पूजालाय जाइये, श्रृद्धा प्रकट करिए, नेट विमान चलाइये, जज बनिए, वकील बनिए, चिकित्सक बनिए, शिक्षक/ लेखक/साहित्यकार बनिए, मुख्यमंत्री बनिए, स्पीकर बनिये, प्रधानमंत्री बनिए, राष्ट्रपति बनिये और बछेंद्री की तरह ऐवरेस्ट पर चढ़िये । देश के लिए ओलंपिक से पदक लाइए । किसी भी क्षेत्र में अब महिलाएं पुरुषों से पीछे नहीं हैं। आज देश में हमारा संविधान है जिसके अनुसार हम सब बराबर हैं । जयहिंद के साथ सभी सीना तान कर आगे बढ़िए । जय हिन्द की नारी ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.10.2021
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