मीठी मीठी - 659 : करवा चौथ व्रत !
करवाचौथ व्रत !
सुहाग के लिए
पति के लिए
निर्जल निश्छल
आस्था अविरल।
व्रत श्रद्धा के दीये
सब स्त्री के लिए
किसी पति ने कभी
शायद व्रत नहीं रखा
पत्नी के लिए।
तुमने सभी धर्मग्रन्थ
वेद पुराण अनन्त
शास्त्र श्रुति स्मृति
लिख डाले मेरे लिए
स्वयं को मुक्त किए।
रीति रिवाज मान मर्यादा
कायदे क़ानून संस्कृति सभ्यता
शर्म हया नियम परम्परा
सब का सिकंजा मेरे लिए धरा
स्त्री होने की यह निर्दयता।
चाह नहीं मेरी
तुम मेरे लिए व्रत करो
पर है एक छोटी सी चाह
तुम जीवन संगीनी का
कभी न अपमान करो।
मैं अपूर्ण तुम बिन
तुम्हारी अपूर्णता भी
बनी रहे मुझ बिन
मेरे स्वाभिमान पर
न आए आंच पल छिन।
पूरन चन्द्र कांडपाल
24.10.2021
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