Wednesday 13 October 2021

Akhabaar mein devi - devta : अखबार में देवी - देवता

खरी खरी -943 :अखबार में देवी-देवता

     समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में हमारे आराध्य देवी-देवताओं के चित्र धड़ल्ले से छपते रहे हैं । आजकल नवरात्रों में नौ दिन तक देवी के विभिन्न रूपों के चित्र छपते रहेंगे । राम नवमी पर श्रीराम के और जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के चित्र भी छपते  आ रहे हैं । यह सब बंद होना चाहिए ।

     जब अखबार रद्दी में जाता है तो उसमें सभी वस्तुएं लपेटी जाती हैं । यहां तक कि जूते-चप्पल सहित कुछ भी लपेटा जाता है । मांस- मदिरा भी लपेटी जाती है । यह उन आराध्य चित्रों का घोर अपमान है । इसी तरह घर के मंदिर में पूजी गई पुरानी मूर्तियों -फोटो को भी लोग किसी पेड़ के नीचे पटक देते हैं जहां इन्हें पशु चाटते हैं । 

    इन आराध्य चित्रों/मूर्तियों  को तोड़कर जमीन में भू-विसर्जित करना चाहिए । इन मुद्दों पर भी आवाज उठनी चाहिए ताकि ये चित्र समाचार पत्र-पत्रिकाओं में न छपें और मूर्तियां जहां-तहां न फेंकी जाएं । इस विषय पर पहले भी कई बार चर्चा होते रही है परन्तु परिणाम शून्य ही रहा । 

     श्रद्धा-आस्था के इन चित्रों का प्रिंट मीडिया में छप कर इस तरह अपमान होते देख हम चुप क्यों रहते हैं ? मूर्तियों का इस तरह अनादर हम क्यों करते हैं ?सबसे ज्यादा अनादर गणेश जी का होता जिन्हें शुभकार्यों में विभिन्न तरह से (शादी कार्डों में भी) प्रयोग करके फैंक दिया जाता है । शायद हम इस प्रतीक्षा में हैं कि इस पर प्रतिबंध लगाने हेतु आंदोलन करने कोई और आएगा और हम लकीर के फकीर बने रहेंगे । ये हमारी कैसी श्रद्धा है ? मंथन तो करें ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

14.10.2021

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