Monday 11 October 2021

Kabhain aapoon hain puchho : कभैं आपूंहैं पुछो

खरी खरी - 941 : कभैं आपूहैं पुछो !!

भाग्यक भरौस पर


तमगा नि मिलन


पुज-पाठ भजन हवनल


मैदान नि जितिन ।

पसिण बगूण पड़ूं


जुगत लगूण पणी,


कभतै हिटि माठु माठ


कभतै दौड़ लगूण पणी ।

हाम यस करण चैं कै दिनू 


करि बेर नि देखून,


भाषण एक दुसरै कैं दिनूं


चलि बेर नि देखून ।

औरों हैं पुछण है पैली


आपूं हैं पुछो,


आफी सवाल करो


आफी जबाब ढूंढो ।

नै हमूल नशेणियां कैं टमकाय


नै शराबियों कैं रोक,


नै कभैं गुट्क तमाकु खै बेर


थुकणियां कैं टोक ।

मैंसूं देखादेखि हाम शिवजी कैं


भांग - धतुर चढ़ाते रयूं,


अंधविश्वास क नागौर 


सबूं दगै बजाते रयूं ।

दुनिय विसर्जनाक नाम पर


कुड़कभाड़ नदियों में बहाते जांरै,


मूर्ति फोटो कलेंडर पुज


हवनक शेष सामान,


सब नदियों में घुसाते जांरै ।

नदी गंद नाव बनि गईं


पाणी गजवैन हैगो काव,


गंदगी फैलूणी कारखणा पर


आजि लै नि लाग ताव ।

गिच खोलो भू- विसर्जन कि


बात दुनिय कैं समझौ,


नदियोंक हाल नि बिगाड़ो


विसर्जन वाइ चीज माट में दबौ ।

पढ़ीलेखी हाय


पढ़ी लेखियां जस


काम नि करें राय ,


गिचम दै किलै जमैं थौ


आपू हैं नि पूछैं राय ।

मरि-झुकुड़ि बेर कुण नि बैठो


ज्यौना चार कभैं त जुझो,


किलै मरि मेरि तड़फ


किलै है रयूं चुप,


कभैं आपूहैं पुछो ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल


12.10.2021


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