खरी खरी - 941 : कभैं आपूहैं पुछो !!
भाग्यक भरौस पर
तमगा नि मिलन
पुज-पाठ भजन हवनल
मैदान नि जितिन ।
पसिण बगूण पड़ूं
जुगत लगूण पणी,
कभतै हिटि माठु माठ
कभतै दौड़ लगूण पणी ।
हाम यस करण चैं कै दिनू
करि बेर नि देखून,
भाषण एक दुसरै कैं दिनूं
चलि बेर नि देखून ।
औरों हैं पुछण है पैली
आपूं हैं पुछो,
आफी सवाल करो
आफी जबाब ढूंढो ।
नै हमूल नशेणियां कैं टमकाय
नै शराबियों कैं रोक,
नै कभैं गुट्क तमाकु खै बेर
थुकणियां कैं टोक ।
मैंसूं देखादेखि हाम शिवजी कैं
भांग - धतुर चढ़ाते रयूं,
अंधविश्वास क नागौर
सबूं दगै बजाते रयूं ।
दुनिय विसर्जनाक नाम पर
कुड़कभाड़ नदियों में बहाते जांरै,
मूर्ति फोटो कलेंडर पुज
हवनक शेष सामान,
सब नदियों में घुसाते जांरै ।
नदी गंद नाव बनि गईं
पाणी गजवैन हैगो काव,
गंदगी फैलूणी कारखणा पर
आजि लै नि लाग ताव ।
गिच खोलो भू- विसर्जन कि
बात दुनिय कैं समझौ,
नदियोंक हाल नि बिगाड़ो
विसर्जन वाइ चीज माट में दबौ ।
पढ़ीलेखी हाय
पढ़ी लेखियां जस
काम नि करें राय ,
गिचम दै किलै जमैं थौ
आपू हैं नि पूछैं राय ।
मरि-झुकुड़ि बेर कुण नि बैठो
ज्यौना चार कभैं त जुझो,
किलै मरि मेरि तड़फ
किलै है रयूं चुप,
कभैं आपूहैं पुछो ?
पूरन चन्द्र काण्डपाल
12.10.2021
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