Tuesday 5 October 2021

Kaise kaise aarop ? : कैसे कैसे आरोप ?

खरी खरी - 939 : कैसे कैसे आरोप ?

     खरी खरी का यह 939वां एपिसोड महिलाओं तथा बदलाव की बयार के समर्थकों को समर्पित है । मुझ पर मेरे कुछ शब्द-पारखियों ने, आलोचकों ने या निंदकों ने या कुंठितों - कट्टरवादियों - रुढ़िवादियों ने आरोप लगाया है कि मैं जहां भी जाता हूं महिलाओं को भड़काता हूं । मैं अक्सर महिलाओं को संदेश देता हूं कि पति के बैंक एकाउंट के साथ पत्नी का नाम भी आइदर/सर्वाइवर क्लॉज के साथ हो, महिलाओं को ATM कार्ड प्रयोग करना आना चाहिए, स्मार्ट फौन लिया है तो संदेश लिखना आना चाहिए ।

      'जिंदगी का एक मिशन-झाड़ू पोछा और किचन' ही नहीं होना चाहिए । अपने व्यक्तित्व को निखारो । 'गुणों भूष्यते रूपं' अर्थात रूप की शोभा गुणों से है । रूप निखारना, सजना-संवरना जरूरी है परंतु इससे भी जरूरी है व्यक्तित्व का निखरना जिससे किसी को भी पहचान मिलती है । अध्ययन के लिए समय निकालो, समय प्रबंधन करो । सास- बहू के आंसू बहाने वाले तथा पाखंड- अंधविश्वास परोसने वाले टी वी चैनलों से परहेज करो । ज्ञान वर्धक तथा व्यक्तित्व वर्धक चैनल देखो । डर-दब के मत रहो और अपने हक के लिए मुंह अवश्य खोलो । विधवा स्त्री की मदद करो।  यदि इस संदेश को मेरे मित्र महिलाओं को भड़काना कहते हैं तो यह आरोप मुझे स्वीकार है और इस तरह का भड़काना मैं जारी रखूंगा ।

      कुछ लोग मुझ पर एक आरोप हिन्दू संस्कृति विरोधी होने का भी लगाते हैं । कारण है मेरा पशुबलि और अंधविश्वास का विरोध करना । मैं हिन्दू- मुस्लिम लड़ाने वालों का भी विरोध करता हूं । हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) हमें सबसे पहले मानवता सिखाता है जिसका दर्शन है 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' और 'वसुधैव कुटम्बकम ।' यही तो स्वामी विवेकानंद जी और गांधी जी ने भी कहा था। यही मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी की मर्यादा भी है।  मैं समाज के सौहार्द की बात करता हूं । सूर-तुलसी- कबीर- रहीम- रसखान आदि महामनीषियों का समर्थक हूं । हिन्दू - मुसलमान द्वारा दी गई ईश्वर या अल्लाह के नाम की पशुबलि का मैं विरोध करता हूं । मैं नदी में मूर्तियों सहित सभी प्रकार के विसर्जन  का भी विरोध करता हूं ।  

     मैं भू-विसर्जन का समर्थक हूं । दूध की धारा मूर्ति या नदी में बहाए जाने के बजाय किसी कुपोषित बच्चे के मुंह में जाये तो यह देशहित है । देश में करोड़ों कुपोषित बच्चे हैं।  जहां उपलब्ध है वहां सीएनजी में या विद्युत दाह गृह में शवदाह होना चाहिए ताकि नदी बचे, पर्यावरण बचे, पेड़ बचे और प्रदूषण घटे । प्रत्येक त्यौहार तथा विशेष अवसर-तिथि पर एक वृक्ष का रोपण होना चाहिए । कोई इन सब बातों को हिन्दू विरोधी समझता है तो यह उसकी समझ है । मेरा भावी पीढ़ी के लिए इस धरा को बचाने का यह संदेश जारी रहेगा । धरा तभी बचेगी जब हम पर्यावरण को बचाएंगे और इसके लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे। आक्सीजन के महत्व को हमने दहशत के उस दौर में खूब समझा जब कोरोना काल की दूसरी लहर ( अप्रैल - मई 2021) में लोग आक्सीजन के बिना तड़फ रहे थे।

पूरन चन्द्र काण्डपाल


06.10.2021


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