Friday 29 October 2021

Shahar ka park : शहर का पार्क

खरी खरी - 950 : शहर का पार्क

क्रिकेटियों ने पार्क की
हरियाली कर दी उजाड़,
कहीं विकेट ईंटों से बनाए
कहीं बनी ट्री गार्ड उखाड़ ।

लावारिश पशु की टोली
घूम-घूम कर चर रही,
कहीं फुटबॉल खिलाड़ी
कहीं साइकिल चल रही ।

पोस्टर टांगे पेड़ों पर
ठोक अगिनत परेक,
रोकने वाला कोई नहीं
देखने वाले अनेक ।

अकड़ पार्क में चल रहा
श्वान मालिक श्वान संग,
श्वान शौच जँह तँह कराए
खुद करे लोगों से जंग ।

कहीं पन्नी गुटके की फैंकी
सिगरेट बिड़ी दी कहीं फैंक,
प्लास्टिक थैली प्लेट दोना
गिलास बोतल कहीं रही रैंग ।

तास टुकड़े कहीं बिखरे
फल छिलके पड़े कहीं,
सांझ होते झुंड शराबी
हो मदहोश गिरते जमी ।

जो भी जन यहां सैर करे
दृश्य उसे नहीं भाता,
किसको रोके क्योंकर टोके
चुप्पी साधे जाता ।

हमने पार्क को अपना न समझा
जाना इसे सरकारी,
सुन्दर स्वच्छ बनाएं इसको
समझी न जिम्मेदारी ।

खोलो अपने मुंह का ताला
धर धीरज इन पर शब्द जड़ो,
दर्शक मूक बने रहो मत
पार्क बचाने आगे बढ़ो !!

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.10.2021

No comments:

Post a Comment