Friday 1 October 2021

Gandhigiri aur shaastri giri :गांधीगिरी और शास्त्रीगिरी

बिरखांत - 404 : आसान नहीं है गांधीगिरी और शास्त्रीगिरी

     गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गुजरात में, 13 वर्ष की उम्र में कस्तूरबा से विवाह, 18 वर्ष में वकालत पढ़ने इंग्लैंड गए, 1893 में मुक़दमा लड़ने दक्षिण अफ्रीका गए, वहां रंग -भेद का विरोध किया, 7 जून 1893 को गोरों ने पीटरमैरिटजवर्ग रेलवे स्टेशन पर उन्हें धक्का देकर बाहर निकाला, 1915 में भारत वापस आए, सत्य-अहिंसा-असहयोग के अमोघ हथियार से स्वतन्त्रता संग्राम लड़ा, 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ और 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गौडसे ने उनकी ह्त्या कर दी परन्तु बापू मरे नहीं, राजघाट दिल्ली में आज भी वे  विराजमान हैं | दुनिया राजघाट आती है और ‘वैष्णव जन तो..’ भजन में बापू को महशूस करती है | आज गांधी जी की 152वीं जयंती है। 

       गांधी ने जो कुछ कहा और जिस तरीके से उसका क्रियान्वयन किया उसे दुनिया ‘गांधीगिरी’ कहती है | गांधीगिरी आसान नहीं है और न यह सबके बस की है | जो लोग ‘मजबूरी का नाम महात्मा गांधी’ कहते हैं यह उनकी कुत्सित सोच है | दुनिया जानती है कि गांधी ने फिरंगी को खदेड़ा और यूनियन जैक की जगह तिरंगा फहराया | जिन्होंने ने गांधी को ट्रेन से धक्का मारा, गांधी ने उन्हें अपने देश से धक्का मारा |  दुनिया के सभी विवादों का अंत बातचीत के गांधी दर्शन के अनुसार ही समझौतों तक पहुंचता है |

        गांधी जी की सीख जिसे अब ‘गांधीगिरी’ कहा जाता है वह है- ‘गाली देने वाले की तरफ मुस्करा कर देखो--वह देर-सबेर शर्मिंदा होगा; समस्या का समाधान झगड़े से नहीं प्यार से निकालो; गुस्सा और अहंकार से दूर रहो; हिंसा में विश्वास नहीं रखो; अभद्र से भद्रता से पेश आओ; क्षमा करना कमजोर इंसान के बूते की बात नहीं है; जिन्दगी ऐसे बिताओ मानो कल ही मौत की तारीख तय है; कथनी और करनी में अंतर मत करो | गांधी ने कई बार कहा, ‘एक गलत कभी भी सच्चाई का स्थान नहीं ले सकता है भलेही उसका कितना ही प्रचार क्यों न किया गया हो | गांधी ने  यह भी कहा था, “ जब हिंसा और कायरता में से एक को चुनना होगा तो मैं  हिंसा का चुनाव करूंगा |” गांधी के ‘दूसरी गाल में थप्पड़’ और ‘ तीन बन्दर’ वाली बात का जो लोग सही विश्लेषण नहीं करते उन्हें गांधी के दर्शन को समझना और उसका पुन: मंथन करना चाहिए |

       गांधी ने छुआछूत का किस तरह विरोध किया, एक प्रसंग – एक बार गांधी जी को एक सभा में बोलना था, उसमें सफाई कर्मियों को नहीं आने दिया गया | गांधी को जब यह बात मालूम हुई तो उन्होंने सभा के आयोजकों से कहा, ‘आप लोग अपनी मालाएं और अभिनन्दन पत्र अपने पास रखिये | मैं उनके पास जाकर भाषण दूंगा | जिन्हें मेरी बात सुननी हो वहाँ आ जाए’ | गांधी जी उनके पास चले गए और आयोजकों को वहां जाना पड़ा |गांधीगिरी में बहुत दम है बस ज़रा विनम्रता से प्रयास करने की देर है | विज्ञान का युग आया, परिस्थितियां बदली परन्तु गांधीगिरी की आज अधिक जरूरत है | मेरा दावा है जो बच्चा ‘शाम- दाम- दंड- भेद’ से नहीं मानता वह गांधीगिरी से मान जाता है | किन्तु-परन्तु मत कहिये, करके देखिये |

        आज के इस पुनीत अवसर पर देश के दूसरे प्रधानमंत्री, ‘जय जवान  जय किसान’ नारे का उद्घोष करने वाले भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी जिनका जन्म 02 अक्टूबर 1904 को हुआ था, को भी हम श्रधा सुमन अर्पित करते हैं | आज शास्त्री जी की 118वीं जयंती है।  गांधी जी की प्रेरणा से वे स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे और 18 बार जेल गए | वे उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री और नेहरू कबीनेट में रेल मंत्री थे | नेहरू जी की मृत्यु के बाद वे 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक एक  वर्ष 7 महीने देश के प्रधानमंत्री रहे | उनके नेतृत्व में 1965 के युद्ध में हमारी सेना ने पकिस्तान को बुरी तरह से हराया था | आज ही हम उत्तराखंड राज्य आन्दोलन में शहीद हुए रामपुर तिराहे के शहीदों सहित राज्य आंदोलन के सभी 42 शहीदों को भी नमन करते हैं और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं  |

( कोरोना के इस दौर में देश में मास्क और वैक्सीन सहित सभी बचाव बहुत जरूरी हैं । अभी समस्या टली नहीं है, नियंत्रण में है।  बचाव से ही हम बच सकते हैं । मार्च 2020 से आजतक विगत 18 महीने में देश में क्रूर कोरोना से 4.48 लाख लोगों की जान गई, इसे हम कैसे भूल सकते हैं ? जो चले गए उनमें हमारे कई परिचित भी थे। )

पूरन चन्द्र काण्डपाल

02 अक्टूबर 2021

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