Sunday 10 October 2021

Bachche aur Mobile : बच्चे और मोबाइल

खरी खरी- 940 : मोबाइल और स्कूली बच्चे

     आजकल हम देखते हैं कि छोटे छोटे बच्चों के पास भी मोबाइल फौन उपलब्ध है । नर्सरी के बच्चे को घर में मां मोबाइल पकड़ा कर अपने कार्य में व्यस्त हो जाती है । इसका बच्चे पर क्या कुप्रभाव पड़ रहा है उससे मां अनभिज्ञ है । मैंने कई बार 10 - 11 साल के बच्चों को पार्क में समूह में बैठ कर अश्लील वीडियो देखते हुए पाया है । नजदीक जाने पर जबाब, 'अंकल गेम खेल रहे थे ।' प्रश्न - 'गेम खेल रहे थे तो मुझे देख बंद क्यों किया ?" कोई उत्तर नहीं । थोड़ी देर में एक बच्चे ने बताया, 'अंकल ये गंदी फ़िल्म देख रहे थे ।' कुछ दिन पहले एक उच्च न्यायालय ने सरकार से अश्लील वेबसाइट बंद करने को भी कहा है । मनोवैज्ञानिकों के अनुसार किशोरों में इन वेबसाइटों से यौन उत्सुकता बढ़ती है ।

     कुछ वर्ष पहले दिल्ली यमुना विहार के एक विद्यालय में प्रधानाचार्य ने कक्षाओं के निरीक्षण के दौरान पाया कि कक्षा 9 का एक लड़का कक्षा में मोबाइल पर गेम खेल रहा है । प्रधानाचार्य ने लड़के से मोबाइल ले लिया और अभिभावक को लेकर आने को कहा । इसी बीच जब प्रधानाचार्य अपने कार्यालय की ओर जा रहे थे तो उस लड़के ने डेस्क की टूटी हुई रॉड से स्कूल प्रमुख पर पीछे से ताबड़तोड़ हमला कर दिया । शोर सुनकर अन्य शिक्षकों ने लड़के को काबू कर पुलिस को सौंपा और प्रधानाचार्य को अस्पताल में भर्ती कराया ।

        कक्षा 9 के विद्यार्थी के पास कक्षा में मोबाइल का प्रयोग एक गंभीर चिंता की बात है । कानूनी तौर पर स्कूली बच्चों को मोबाइल रखने की अनुमति नहीं है । जो बच्चे कक्षा में मोबाइल ले जाते हैं वे इसी तरह की हरकत करेंगे । इस केस में प्रधानाचार्य ने उचित कदम उठाया परन्तु विद्यार्थी गुंडा बन गया । 

     अभिभावकों को अपने लाडलों को मोबाइल देने से पहले अच्छी तरह सोच लेना चाहिए कि क्या वे अपने बच्चों का भविष्य तो नहीं बिगाड़ रहे ? अभिभावकों की चौकस निगाहें बच्चों पर रहेंगीं तो वे घर पर स्मार्टफोन या नेट पर अवांच्छित सामग्री नहीं देख सकेंगे । ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान भी कुछ बच्चों ने अभिभावकों की अनुपस्थिति में स्मार्ट फोन का दुरुपयोग किया।  आधुनिक संचार तकनीक का ज्ञान होना जरूरी है लेकिन उसका दुरुपयोग न हो यह अधिक जरूरी है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल


11.10.2021


No comments:

Post a Comment