Sunday 17 October 2021

patakhe aur bachche : पटाखे और बच्चे

खरी खरी - 945 : बच्चों का स्वास्थ्य बड़ा है या पटाखे ? 

     जब से राजधानी दिल्ली में दीपावली के अवसर पर पटाखों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिबंध लगा है कुछ लोग धर्म -सम्प्रदाय के नाम से चिल्लापौं करने लगे हैं । बढ़ते प्रदूषण को देख कर पटाखों पर न्यायालय ने जनहित को देखते हुए यह प्रतिबंध लगाया । निहित स्वार्थ से ग्रसित लोग कई प्रकार के ऊलजलूल तर्क देकर पटाखे जलाने के पक्ष में हैं ।

     चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार पटाखों का एक दिन का प्रदूषण बहुत खतरनाक होता है जो पूरे वर्ष तक हमारे फेफड़ों में जमा रहता है । हमारे गुलाबी फेफड़े पटाखों के जहरीले धुंए से काले हो जाते हैं और श्वसन प्रक्रिया में शिथिल या कमजोर पड़ जाते हैं । दीपावली का यह जहरीला धुंआ साल भर तक नहीं मिटता । इस जहर से अल्जाइमर, एपिलेप्सी, दमा जैसे कई रोग पनपने लगते हैं । तेज शोर से माइग्रेन और आंख- कान - गले के कई रोग होने लगते हैं । गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी इस शोर और जहर का असर पड़ता है ।

     अतः लोगों को इस जहर को उगलने वाले पटाखों को स्वेच्छा से त्यागना चाहिए । दीवाली की रात हवा आम दिनों के बजाय नौ गुना प्रदूषित हो जाती है । हमें न्यायालय के आदेश के बावजूद भी स्वेच्छा से यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि हम अपने बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे और एक भी पटाखा नहीं जलाएंगे । यदि हम अब भी नहीं चेते तो हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी । 

     हम सिरोमनि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का आभार प्रकट करते हैं जिन्होंने कुछ वर्ष पहले स्वेच्छा से जन अपील की है कि दीपावली और गुरुपूरब पर पटाखे नहीं जलाएंगे । उन्होंने किसी कानून की प्रतीक्षा नहीं की । इसी तरह हम सब एक -दूसरे से अपील करें कि हम अपने बच्चों के खातिर पटाखों की जगह दीप जलाकर दीपावली के पवित्र त्यौहार को मनाएं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल


18.10.2021


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