Saturday 16 October 2021

Doha saptak : दोहा सप्तक

मीठी मीठी - 656 : दोहा सप्तक (कुमाउनी)

(‘मुकस्यार’ किताब बटि )

कविता मनकि बात बतै दीं,


कसै उठी हो उमाव |


बाट भुलियाँ कैं बाट बतै दीं,


ढिकाव जाई कैं निसाव||


 

द्वि आखंर हंसि बेर बलौ, 


बरसौ अमृत धार |


गुस्स्म निकई कडू आंखर,


मन में लगूनी खार ||

 


लालच जलंग पाखण्ड झुटि,


रागद्वेष अंहकार |


अंधविश्वास अज्ञान भैम,


डुबै दिनी मजधार ||

 


तमाकु सुड़ति शराब नश,


गुट्क खनि धूम्रपान |


चुसनी माठु-माठ ल्वे हमर, 


बेमौत ल्ही लिनी ज्यान ||

 


धरो याद इज बौज्यू कैं,


शिक्षक सिपाइ शहीद |


दुखै घड़िम ल्हे भुलिया झन, 


धरम करम उम्मीद ||

याद धरण उ मनखी चैंछ,


मदद हमरि करी जैल |


हमुल मदद जो कैकि करि,


उकैं भुलण चैं पैल ||

देशप्रेम जति घटते जां, 


कर्म संस्कृति क नाश |


निहुन कभैं भल्याम वां,


सुख शांति हइ टटास ||

पूरन चन्द्र काण्डपाल


17.10.2021


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