Saturday 5 June 2021

Laperwahi : लापरवाही

खरी खरी -862 : लापरवाही या संवेदना की हत्या

    इसे कोरोना का डर कहें, लापरवाही कहें या संवेदना की हत्या कहें ?  एक समाचार के अनुसार विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश में एक बड़ा ही विचित्र मामला सामने आया है । यहां के एक सरकारी अस्पताल में एक 70 वर्षीय महिला की कोरोना से मौत हो गई । 15 मई को महिला के पति ने पॉलिथीन में पैक पत्नी के शव को बिना मुंह देखे दफना दिया । करीब दो हफ्ते बाद 01 जून 2021 को परिवार ने मृतका की याद में श्रद्धांजलि आयोजित भी कर दी। अगले दिन परिवार व गांववाले उस समय आश्चर्यचकित रह गए जब महिला सही-सलामत घर लौट आई ।

      यह चौंकाने वाला मामला आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के अंतर्गत आने वाले क्रिश्चियनपेट गांव का है । बुजुर्ग महिला गिरिजाम्मा को कोरोना होने के बाद 12 मई को विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था । उसका पति मुथयाला गद्दाया लगातार अस्पताल जाते रहता था। 15 मई को उसकी पत्नी कोविड वॉर्ड में नहीं मिली । उसने दूसरे वॉर्ड में जाकर देखा लेकिन वह कहीं नहीं मिली । अस्पताल की नर्सों ने उनसे कहा कि शायद उसकी पत्नी की मौत हो गई ।

       अस्पताल के मुर्दाघर से पॉलिथीन में लिपटा एक बुजुर्ग महिला का शव उनको सौंप दिया गया । पत्नी की मौत से दुखी पति किसी तरह शव गांव लेकर आया और उसी दिन अंतिम संस्कार कर दिया । 23 मई को उनके बेटे मुथयाला रमेश (35) की भी कोरोना से खम्मम जिला अस्पताल में मौत हो गई । परिवार ने 01 जून को दोनों के लिए स्मारक श्रद्धांजलि सेवा का आयोजन किया । जिसके अगले दिन गिरिजम्मा 18 दिन बाद घर लौट आईं । वह उदास और निराश हैं कि कोरोना से ठीक होने के बाद कोई उसे लेने नहीं आया । उसने बताया कि अस्पताल ने उसे घर लौटने के लिए तीन हजार रुपये दिए तब वह घर पहुंची। काश ! परिवार का कोई भी व्यक्ति महिला के शव की पहचान कर लेता तो इस तरह की यह शर्मनाक घटना नहीं घटती । अस्पताल के मुर्दाघर में भी बहुत बड़ी गलती हुई जो बिना जांच के किसी का शव इस व्यक्ति को दे दिया। इन्हीं लापरवाहियों से सरकारी अस्पताल कलंकित होते हैं । जिम्मेदार कौन है ?

पूरन चन्द्र कांडपाल
06.06.2021

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