खरी खरी- 861 : गंगा पुछैं रै सवाल ?
मिहुणि गंगा मैया
लै कूं रौछा,
सबूं हैं गंगा गंदी
हैगे लै कूं रौछा,
गंद नालों कैं
म्ये में बगों रौछा,
मुर्द म्यार किनार
पर भडूँ रौछा,
मरी जानवर म्ये
में लफाऊँ रौछा।
धोबीघाट म्यार
किनार खोलें रौछा,
विसर्जन क नाम पर
म्ये में कुड़-कभाड़
लफाउं रौछा,
गंगा दश्यारक दिन
बधै लै दीं रौछा,
पै दिखाव कि बात केक
लिजी करैं रौछा ?
कस य कोरोना काल
सब है गईं बेहाल
क्रूर बेहुद मसखद रोग
नेइ हाली कतू लोग
काठ न्हैति चिताक लिजी
जाग न्हैति कब्राक लिजी
उई रईं कतू मुर्द म्यार किनार
कस य बखत दिनछना अन्यार ?
यूं मुर्द कैल बगा हुनाल ?
कसि है हुनलि मजबूरी ?
कां हुनल उ शासन तंत्र ?
नीन में छी व्यवस्था कूंरीं
जैक मर हुनाल यूं मनखी
ऊं रवाय हुनाल सणि सणि
उनार आंसुओंकि गाड़ल
खौलि रौ म्यर धुमिल पाणि।
करि दि उनूल यसि गलती
करवै दे कुंभ और चुनाव
साधु लै उनू कैं रोकि सकछी
बिन कुंभ राम कैं रिझै सकछी
मनखिएकि बनाई परम्परा छी
अलैबेर ऊं चाना टइ लै सकछी
धार्मिक त्यार म्याल मिलाप
इनुहै ठुलि त जिंदगी छी ।
उन्नाव बलिया छपरा गाजीपुर
बक्सर समेत कतू गौं शहर
सैकड़ों मुर्द म्यार किनार लाग
कैमरा लै नि हय सब जाग
रूं रै धरति रूं रौ अगास
रूं रौ पुर दुनिय संसार
उई मुर्दोंक घिमसाण देखि
रूं रै आज म्येरि जलधार ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
04.06.2021
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