Friday 18 May 2018

Satynarayan kath : सत्यनारायण काथ

सत्यनारायण काथ में सवाल-जबाब


     ‘चनरदा’ यूं पंक्तियों क लेखक क एक भौत पुराण जाणी- पछ्याणी किरदार छ | इनर   नाम चन्द्र मणी, चंद्रा दत्त, चन्द्र प्रकाश, चनर देव, चनर सिंह, चान सिंह, चन्दन सिंह, चनर राम, चनराम, चनिका, चनरी आदि कुछ लै है सकूं पर लोग उनुहें चनरदा ई कौनी | चनरदा मसमसाणक बजाय गिच खोलनीं, कडुआहट में मिठास घोउनीं, बलाण है पैली भली-भांत तोलनीं और सच- झूठकि परख लै करनीं | म्येरि कएक रचनाओं में चनरदा कतू ता ऐ गईं | आज ऊँ एक सत्यनायण कि काथ सुणि बेर ऐ रईं |


    राम- रमो क बाद मील चनरदा हैं पुछौ, “भौत दिनों में नजर औं रौछा चनरदा आज, लागें रौ कैं दूर जै रौछिया और वै रमि गछा ?”  “कां जनूं यार, यै छी | राजकपूर कै गो, ‘जीना यहां मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां ?’ काथ क न्यौत खै बेर औं रयूं | सत्यनारायण ज्यू कि काथ छी एक मितुर क घर”, चनरदा ल मुलमुलै बेर कौ |  “अच्छा काथ क ताज ज्ञान ल सराबोर है रौछ, तबै भौत खुशि नजर औं रौछा,” मील मजाक करी | “तुम जे समझो यार, क्वे ताज ज्ञान वालि बात नि हइ | वर्षों बटि सुणते औं रयूं, बस एकै  ज्ञान हय- लालच ल वशीभूत है बेर पुज क संकल्प करो, बामणों कैं भोजन खांहूँ खवौ, संकल्प नि निभाला तो उ व्यौपारी क चार बेक़सूर दुख पाला...आदि | काथ क बहानै ल इष्ट- मितुरों दगै भेट है जींछ और ‘वील काथ करै’ क प्रचार त है ई जांछ |”


    “काथ छी तो ब्राहमण और बाबा त आयै हुनाल, उनुकैं खउण –पेउण में पुण्य मिलनेर हय बल | जजमानक दगाड़ सुणणियांल पुण्य कमा हुनल”, मील सवाल उठा मैंने | चनरदा सहमत नि हाय और झट बलाईं, “काथ सुणणी त छी पर कैक ध्यान काथ में नि छी | यास में पंडिज्यू लै टोटल पुर करें रौछी | ‘जसी तेरी जाग्द्यो उसी म्येरि भेट-पखोव |’ शोर-शराबा देखि मील सुणणियां हैं हाथ जोड़ नै कौ, “ देखो काथ ध्यान ल सुणो, कथा क आखिर में  पांच सवाल पुछी जाल | जो सही उत्तर द्यल उकैं हर सही उत्तर पर बीस रुपै क इनाम दिई जाल | मील दस-दसा क दस नौट थान में धरि देईं | कुछ कम शोर साथ काथ चलते रै


      काथ पुरि होते ही आरती है पैली मील सुणणियां हैं पांच साधारण सवाल पुछीं –‘लीलावती और कलावती को छी, सूत जी को छी, सदानंद को छी, को ऋषियों ल को जाग पर सूत ज्यू हैं बात पुछी और बर को नगर क छी ?’ हैरानी तब है जब एक लै सवाल क उत्तर ठीक नि मिल | स्पष्ट है गो छी कि कैक लै ध्यान काथ में नि छी | पंडिज्यू हैं जी सवाल नि पुछ  ताकि व्यास गद्दी क सम्मान बनी रौ और पंडिज्यू ल लै खुद उत्तर दीण कि क्वे पहल नि करि | सौ रुपै कि जमा राशि तत्काल पंडिज्यू क सुपुर्द करि दी |”


     चनरदा अघिल बतूनै गईं, “मीकैं कैकि आस्था- श्रधा पर क्ये कौण न्हैति, मी त  अंधश्रद्धा या अंधविश्वास क विरोध करनूं | काथ में किसी क्वे गरीब कैं भोजन करूण या कर्म करण कि चर्चा कैं लै न्हैति | बामणों कैं भोजन करूण ल और पुज करण ल पुण्य और वांच्छित फल  मिलण कि चर्चा कतू ता छ | ‘श्रीमद भागवद गीता’ में केवल कर्म करण क संदेश जबकि ‘य काथ’ और ‘गरुड पुराण’ में केवल बामण कैं भोजन करूण ल पुण्य प्राप्ति क द्वार बताई रौछ | 


     अंत में एक लौंड सवाल पुछौ, “य काथ में पुज करण कि बात कतू ता बतायी गे, काथ करण कि बात लै कई गे पर सत्यनारायण कि काथ के छी य त बतैयै ना  ?” चनरदा बलाय, “उ लौंड क सवाल मीकैं ठीक लागौ जैक जबाब आज लै नि मिलि रय | आखिर काथ के छी जैकैं नि करण ल कएक लोगों कैं सजा भुगतण पड़ी ? य काथ कैं ‘कथा’ कि जागि पर ‘पुज’ कौण ठीक रौल  |


पूरन चन्द्र काण्डपाल

17.05.2018

 


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