Tuesday 29 May 2018

हिन्दू-मुस्लिम : राग हिन्दू-मुस्लिम

खरी खरी - 246 : राग 'हिन्दू -मुस्लिम' क्यों ?

     विश्व में 56 मुस्लिम देश हैं जिनमें 12 तेल निर्यातक हैं । हम 80% तेल आयात करते हैं । हमारी 99.9 मुस्लिम देशों से दोस्ती है । हम इन देशों को कई वस्तुएं निर्यात भी करते हैं । फिर हर बात में  'हिन्दू- मुस्लिम' राग क्यों ? हमें अब स्वयं सोचना होगा । विश्व में इंडोनेशिया ( जहां आज पीएम साहब गए हैं ) के बाद सबसे अधिक मुस्लिम हमारे देश में रहते हैं ।

     हमने स्वतंत्रता आंदोलन भी मिलकर लड़ा । हमने रसखान का कृष्ण- प्रेम देखा, मिज़ाइल मैन APJ अब्दुल कलाम का सपना देखा, परमवीर चक्र विजेता (मरणोपरांत) अब्दुल हमीद की अद्भुत वीरता देखी, भारत रत्न बिस्मिल्लाखां की शहनाई सुनी, 6 भारत रत्न और 1 परमवीर चक्र का राष्ट्र-प्रेम देखा । खेल, व्यापार, सिनेमा, लेखन, कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में अनेकों ऐसे मुस्लिम देखे जिन्होंने भारत के मुकुट पर कई रत्न जड़े ।

     समझ में नहीं आता कि वे कौन क्षुद्रबुद्धि लोग हैं जो बात-बात में 'हिन्दू-मुस्लिम' का राग अलाप कर हमारी गंगा- जमुनी तहजीब को जख्म देना चाहते हैं, फूलवालों की सैर में रोड़ा अटकना चाहते हैं और इसी राग से आग लगा कर राजनैतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं । हमारे लिए उन शब्दों का कोई मोल नहीं है जो करनी से मेल नहीं खाते ।

      हाल ही में हमें पीएम साहब ने ईदगाह (मुंशी प्रेमचंद ) के हामिद की याद दिलाई । हमारे समाज में गोपाल, हामिद, रोबर्ट, गुरतेज सहित 11 धर्मों के बच्चे अपने अभिभावकों के संग आपस में मिलजुलकर रहते हैं, पढ़ते -खेलते हैं । हमारी सदियों पुरानी सौहार्द- मोहब्बत की हिलोर कुछ सरारती -असामाजिक तत्वों द्वारा देखी नहीं जा सकती । इसलिये वे हमेशा कुछ न कुछ छिछोरपन करके इसे तोड़ने की फिराक में रहते हैं । इनकी यह बदनीयती कभी भी सफल नहीं होगी क्योंकि प्रत्येक भारतीय इनकी मंसा को समझ चुका है । ऐसे दौर हम देखते आये हैं क्योंकि "सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा ।" हमने मिलकर अपना संविधान बनाया है । यह हमारे सामाजिक सौहार्द का सबसे बड़ा ग्रन्थ है जिसका हमने सम्मान करना चाहिए और करेंगे भी । जयहिन्द ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
30.05.2018

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