Friday 21 May 2021

Sakaaratmak dard : सकारात्मक दर्द

खरी खरी - 856 : सकारात्मक दर्द

मेरे सोसल मीडिया के सहपाठी के बोल
अपने लेख/काव्य में तू निराशा मत घोल,

नकारात्मक सोच लेकर क्यों तुम बढ़ रहे  ?
सत्य के नाम पर क्यों तुम दुविधा गढ़ रहे ?

ठीक है, अब तुम्हारे मन जैसी ही करूंगा
जो सत्य चुभता है उसे भूले से नहीं कहूंगा,

सत्य को सुनने के लिए बड़ी हिम्मत चाहिए
कोई दिखाए आईना, दरस का साहस चाहिए,

नहीं पूछूंगा कुंभ और चुनाव क्यों कराए ?
पंचायत चुनाव क्यों बिन अनुशासन भाए?

नहीं पूछूंगा बिन आक्सीजन लोग क्यों मरे
अस्पतालों में क्यों नहीं थे दवा हवा बिस्तरे,

नहीं पूछूंगा रेमेसिविर क्यों कालाबाजार ?
एम्बुलेंस क्यों कर रही है लूट सरे बाज़ार,

नहीं कहूंगा इस सुप्रबंधन का कौन जिम्मेदार?
नहीं कहूंगा क्यों न्यायालय लगा रहे फटकार?

बेसुमार कब्र चिताओं की बात भी नहीं होगी
रिक्से सायकिल में ढोते शवों की याद न होगी,

माफ करे गंगा, वे तैरते शव अनदेखा करूंगा
परिजन के लाचार आंसू भी बयां नहीं करूंगा,

वैक्सीन की लाइन में खड़ा इंतजार सहूंगा
जाऊं बिन वैक्सीन थक कर चूं नहीं करूंगा,

स्वास्थ्य केंद्र क्यों लटके ताले नहीं कहूंगा?
वहां गोबर उपले भूसा किसके नहीं पूछूंगा?

सलाम उन्हें जो किरण उम्मीद दिखा रहे
रोटी पानी हवा दवा मास्क सड़क पर दे रहे,

सिस्टम प्रबंधन से जो उपजा उस दुख को सहूंगा
दुख जताओ कोरोना मृतकों पर भूल से नहीं कहूंगा,

जाकर देखो गांवों की हालत कितनी सुधरी ?
जिसका जो गुजर गया देखो वहां क्या गुजरी ?

जनहित में लेखनी से सत्य का बखान हो
जनता की वेदना पर तंत्र का संज्ञान हो,

देश में जो जहां भी जीने की राह है दिखा रहा
कोरोना में भारत मां का सपूत सच्चा लग रहा।

पूरन चन्द्र कांडपाल
22.05.2021

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