Wednesday 12 May 2021

Mamta Banerji : ममता बनर्जी

मीठी मीठी - 591 : जन सेविका ममता बनर्जी

     हमारे देश में बहुत कम ही नेता होंगे जो ममता बनर्जी की तरह जीते हों और सैलरी व पेंशन कुछ भी न लेते हों। उनके व्यक्तिगत जीवन से हमारे नेता कुछ प्रेरणा ले सकते हैं। यहां मैं ममता जी के राजनीतिक जीवन का वर्णन नहीं कर रहा हूं । मैं किसी राजनैतिक दल का सदस्य भी नहीं हूं ।  मैं शास्त्री जी, कलाम अंकल (एपीजे) और त्रिपुरा के पूर्व सीएम मानिक सरकार की भी सराहना करता हूं । आज यहां ममता बनर्जी (दीदी) की चर्चा ।

     ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता में गायत्री एवं प्रोमलेश्वर जी के घर में हुआ। उपचार के अभाव में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी । उस समय ममता बनर्जी मात्र 17 वर्ष की थी। ममता बनर्जी को दीदी के नाम से भी जाना जाता है। वह पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं और वर्तमान में देश में एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं ।

     वर्ष 1970 में ममता बनर्जी ने देशबन्धु शिशुपाल कालेज कोलकाता से उच्च माध्यमिक बोर्ड की परीक्षा पूरी की। उन्होंने जोगमाया देवी कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त की । बाद में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर डिग्री हासिल की । इसके बाद श्री शिक्षाशयन कॉलेज से शिक्षा की डिग्री और जोगेश चन्द्र चौधरी लॉ कॉलेज, कोलकाता से कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्हें कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर से डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी मिली। उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ़ लिटरेचर (डी.लिट) की डिग्री से भी सम्मानित किया गया था।

     ममता बनर्जी राजनीति में तब शामिल हो गई जब वह केवल 15 वर्ष की थीं । जोगमाया देवी कॉलेज में अध्ययन के दौरान, उन्होंने कांग्रेस (आई) पार्टी की छात्र शाखा, छात्र परिषद यूनियंस की स्थापना की जिसने समाजवादी एकता केन्द्र से संबद्ध अखिल भारतीय लोकतान्त्रिक छात्र संगठन  को हराया । वह पश्चिम बंगाल में कांग्रेस (आई) पार्टी में, पार्टी के भीतर और अन्य स्थानीय राजनीतिक संगठनों में विभिन्न पदों पर रही । वर्ष 1970 से 1997 तक वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में रही और 1997 में उन्होंने नई पार्टी तृणमूल कांग्रेस बनाई।

      विधायक से लेकर सांसद, कैबिनेट मंत्री और फिर तीन बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के बाद भी ममता एक आम इंसान की तरह अपना जीवन बिताती हैं । वे अविवाहित हैं।  सूती साड़ी और पैरों में हवाई चप्पल अब उनकी पहचान बन चुकी है और यही वजह है कि बंगाल की जनता ने लगातार तीसरी बार उन पर भरोसा जताया । इस चुनाव में उन्होंने अपने विरोधियों को बहुत बड़ी टक्कर दी और पश्चिम बंगाल में बड़ी जीत के बाद तीसरी बार सत्ता वापसी की ।

      एक आम बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मीं ममता ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया था कि बीते 7 साल से उन्होंने पूर्व सांसद के तौर पर पेंशन तक नहीं ली है । वह पूर्व सांसद और मंत्री रहने के चलते पेंशन की हकदार हैं । इसके अलावा ममता सूबे के मुख्यमंत्री को मिलने वाली सैलरी भी नहीं लेती हैं । उन्होंने कहा कि ऐसा करके वह सरकार के लाखों रुपये बचा रही हैं और वे सरकारी कार तक का इस्तेमाल नहीं करती हैं।  वह बताती हैं कि उन्होंने हमेशा प्लेन की इकोनॉमी क्लास में ही सफर किया है । यहां तक कि कभी सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरना भी हो तो वह खुद उसका खर्च उठाती हैं ।

    सैलरी और पेंशन न लेने के बावजूद उनका खर्च उनकी किताबों की रॉयल्टी से चलता है । ममता जी की 85 से ज्यादा किताबें छप चुकी हैं जिनमें से कुछ बेस्ट सेलर भी हैं । इसके अलावा ममता गानों के बोल लिखकर भी अपनी आमदनी करती हैं ।  वह चाय तक अपने पैसे से पीती हैं । देश के सभी
राजनेताओं को दीदी से प्रेरणा लेनी चाहिए और कुछ तो ममता जी के आचरण से सीख लेनी चाहिए तभी वे जनता के सेवक बन कर जनता का दिल से सम्मान पा सकते हैं।  हमारे अधिकांश राजनेता विरोधियों के अलावा जनता से भी सम्मान नहीं पाते जबकि दीदी केवल विरोधियों के निशाने पर रहती हैं परन्तु वे जन मानस से स्नेह -सम्मान दोनों पाती हैं । देश को ऐसे नेताओं की आवश्यकता है। ( लेख के कुछ अंश साभार न्यूज  चैनल वाल से )

पूरन चन्द्र कांडपाल
13.05.2021

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