खरी खरी -859 :धूम्रपान और नदिया का नीर
कल 31 मई 2021 को हमने विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया । एक विस्तृत लेख इस मुद्दे पर मैंने भी लिखा । हमने सबसे संकल्प करने का निवेदन किया था कि हम आज कम से कम एक व्यक्ति को बीड़ी, सिगरेट, खनी, जर्दा, पाउच, गुटका, नशा छुटाने का प्रयास अवश्य करें और शुरुआत घर से होनी चाहिए । कोरोना संक्रमण काल में धूम्रपान - गुटका निषेध बहुत जरूरी है । कोरोना दौर में इनका सेवन करने वाले अधिक खतरनाक हैं क्योंकि ये जहां-तहां थूक देते हैं और कोरोना संक्रमण फैलाते हैं । इतफाक देखिए, सायं को डाक्टरों के एक पैनल ने एक टीवी चैनल में बताया कि कोरोना पीड़ितों में जो स्मोकर थे वे बीमारी को झेलने में बहुत परेशान रहे या उन्हें संक्रमण ने अधिक सताया क्योंकि उनमें निमोनिया की जकड़ खतरनाक स्थिति तक पहुंच गई । ये बीमार देर में ठीक हुए और इनमें हार्ट अटैक के चांस अधिक थे। ठीक होने के बाद भी इनमें सामान्य हालत में लौटने में देर लगती है, पोस्ट कोविड समस्याएं अधिक होती हैं। इस संदर्भ में इतना ही कहूंगा कि जितनी जल्दी हो सके धूम्रपान से मुक्त हो जाएं । बिना धूम्रपान के जीवन परिवार के लिए भी अधिक अच्छा है।
दूसरी बात चिकित्सकों ने यह बताई कि इस दौर में नदियों का नीर भी संक्रमित हो सकता है और सीवर का बहाव भी वाइरस ग्रस्त हो सकता है। उन्होंने सलाह दी कि नदियों का पानी पीने या नदियों में नहाने से बचा जाए क्योंकि इससे भी इस दौर में संक्रमण का खतरा हो सकता है । कई शहरों में गंगा के किनारे इस दौर में इतनी गंदगी बढ़ी कि हरे रंग की काई से जल भी हरा दिखने लगा । जन -जागृति में सबको जुटना चाहिए, सबकुछ सरकार/प्रशासन पर नहीं छोड़ा जा सकता । देश अपना, लोग अपने, मिलकर देखें सुखद भारत के सपने। मिलकर कहें ' धूम्रपान छोड़ेंगे और नदियों को बचाएंगे ।' अंत में, हे वैक्सीन ! हे मास्क ! अब तुम्हारा ही सहारा ।
पूरन चन्द्र कांडपाल
01.06.2021
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