खरी खरी - 855 : पूड़ी का इंतजार
हलवाई पूड़ी निकाल रहा
खाए गबरु पैतालीस साल
अगली ही हूल में बिठा दिए
सब अठारह बरस के लाल,
सब अठारह बरस के लाल
तरसे जमा साठ के ताऊ
एक ही पूड़ी में टरका गया
ला दूसरी खिला तो जाऊं,
'पूरन' कम पड़ गई हैं पूड़ी
क्यों सब पंगत संग बैठाई ?
पूड़ी पूड़ी सारे चिल्लाए
कहां अटक गया हलवाई ?
पूरन चन्द्र कांडपाल
21.05.2021
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