Friday 28 May 2021

Dulhe ka baap : दूल्हे का बाप

मीठी मीठी -602 : दूल्हे का बाप

    बेटे की शादी तय होते ही दूल्हे का बाप बड़े रौब से दुल्हन के पिता से बोला, "देखो समदी बारात ठीक समय पर आ जाएगी । हमें कुछ नहीं चाहिए परंतु बारात का स्वागत, खान-पान आदि बहुत अच्छा होना चाहिए ।"  दुल्हन के पिता ने समदी के रौब को सहते हुए हामी भर दी ।

      बारात का बड़ी शान से स्वागत हुआ । खान- पान सब उत्तम । शादी के बाद दुल्हन की विदाई के वक्त दूल्हे के बाप ने दुल्हन के पिता को एक लिफाफा पकड़ाते हुए कहा, "स्वागत के लिए आपका धन्यवाद । कुछ बातें कहने का मन है जो इस लिफाफे में हैं । बारात और सभी मेहमानों के जाने के बाद इस लिफाफे को खोलना ।" इतना कह कर वह चला गया । 

     बाद में बड़ी घबराहट के साथ  जब दुल्हन के पिता ने लिफाफा खोला तो उसमें रखे पत्र में लिखा था, "आपने बहुत खर्च उठाकर अच्छा स्वागत किया । तुम्हारी बेटी अब मेरी बेटी है और मेरा बेटा अब तुम्हारा बेटा । इसलिए इस आयोजन के खर्च को मैं आपस में बांटना चाहता हूं । लिफाफे में चार चैक हैं । अंदाज से इन चैकों में खर्च की आधी राशि लिख दी है । चैकों में नाम नही भरा है । सुविधानुसार भर कर भुगतान ले लेना । चैक लौटना मत, वापस नहीं लूंगा।"

     दुल्हन का पिता सुखद आश्चर्य में डूब गया । उसने एकबार सोचा कि चैक लौटा दूं । पर उसे चैक लौटाने की हिम्मत नहीं हुई । उसने पूरी राशि को दूल्हे-दुल्हन के नाम बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट कर दिया और मियादी रसीदें एक लिफाफे में रख कर दूल्हे के बाप के सुपुर्द करते हुए कहा, "समदी जी इस लिफाफे में आपके लिए धन्यवाद पत्र है, मेरे जाने के बाद खोलना ।" इतना कह कर दुल्हन का पिता चला आया । (क्या ऐसा हुआ होगा ? या क्या ऐसा हो सकता है ? आप के विचारों की प्रतीक्षा तो रहेगी।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.05.2021

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