Wednesday 4 July 2018

Rievailyuasan : रिएवरल्यूएसन का फेर

बिरखांत- 219: पुनर्मूल्यांकन (रिइवैलुयेशन) का फेर 

    रिइवैलुयेशन अर्थात पुनर्मूल्यांकन का तात्पर्य हम सब जानते ही हैं | नाम का रिइवैलुयेशन तो है पर चलेगी उनकी ही | पढ़िए रिइवैलुयेशन की एक कहानी, चनरदा की ज़ुबानी | चनरदा बताते हैं, “मेरे मित्र के पुत्र ने दो साल पहले 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की परन्तु विद्यार्थी परिणाम से संतुष्ट नहीं हुआ | छै में से पांच विषयों में उसके औसत अंक 90% थे परन्तु गणित में मात्र 36 अंक ही पाए थे उसने | गणित के अंक देखते ही उस मेधावी छात्र को बड़ा धक्का लगा | अभिभावक भी हक्का-बक्का रह गए | जिसकी कल्पना भी नहीं थी वो अनहोनी कैसे घट गई | सभी दंग रह गए थे | गणित के 36 अंक किसी को भी नहीं पच रहे थे | घर से लेकर विद्यालय तक जो भी सुने किसी को भी विश्वास नहीं हुआ परन्तु मार्कशीट में भी यही था | निराशा से उभर कर सबने रिइवैलुयेशन की सलाह दी |”

     आश्चर्य में डूबे हुए चनरदा बताते गए, “रिइवैलुयेशन के भंवर में घुसना अभिभावकों के मजबूरी थी | उन्हें बेटे के अधिक अंक आने का पूरा विश्वास था | रिइवैलुयेशन का तीन स्तरीय भंवर कुछ अधिक ही घुमावदार था | पहले स्तर में केवल अंकों की पुनर्गणना अर्थात रिकाउन्टिंग होनी थी जिसकी फीस  तीन सौ रुपये थी | दूसरे स्तर में उत्तरपुस्तिका (आंसरशीट) देखी जा सकती थी जिसके लिए सात सौ रुपये देना था और तीसरे स्तर में उत्तरपुस्तिका के विद्यार्थी द्वारा बताये गए मात्र दस प्रश्नों का पुनर्मूल्यांकन होना था जिसकी फीस देनी थी एक हजार रुपये | सब मिलाकर दो हजार रुपये रिइवैलुयेशन  का खर्च तो छात्र को उठाना ही था | फीस अदायगी के पापड़ ऑन लाइन ही बेलने- झेलने का नियम था |” 

    रिइवैलुयेशन की बिरखांत चनरदा ने जारी रखी, “मेरे मित्र के पुत्र ने सबसे पहले तीन सौ रुपये भुगतान कर पहला स्टैप उठाया | देखा तो अंकों का योग 36 ठीक था | दूसरे चक्र में सात सौ रुपये देकर उत्तर पुस्तिका देखी | प्रश्नपत्र के सभी 26 प्रश्न छात्र ने हल किये थे | उत्तर पुस्तिका देखने पर पता चल की 26 में से मात्र 8 प्रश्न निरीक्षक ने देखे थे जबकि शेष 18 पर कुछ न कुछ तकनीकी कारणों से क्रॉस लगा दिया था | इन 18 प्रश्नों में से किन्हीं 10 का पुनर्मूल्यांकन किये जाने का नियम बताया गया | विद्यार्थी ने एक हजार रुपये भुगतान देकर 10 प्रश्नों का रिइवैलुयेशन कराया गया जिसमें मात्र 19 अंक बढ़े | दो हजार रुपये खर्च करने और गहरे मानसिक तनाव से गुजरने के बाद अब उसके 55 अंक हो गए थे जो छात्र के मूल्यांकन के अनुसार अब भी कम से कम 39 अंक कम थे | विद्यार्थी के अनुसार उसके गणित में कम से कम 85 % अंक आने की पूर्ण संभावना थी |”

     चनरदा के अनुसार इस प्रक्रिया में छात्र को परीक्षा बोर्ड के शर्तों के अधीन ही रहना होता है | निरीक्षक कुछ भी करे उसे छूट है जिसे कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती | सबसे अधिक अखरने वाली बात है की सभी 18 प्रश्नों का रिइवैलुयेशन क्यों नहीं करने दिया गया ? रिइवैलुयेशन की सीमा का प्रावधान मात्र 10 प्रश्नों तक ही क्यों सिमित है,  यह प्रश्न अनुतरित है | ऐसा कई विद्यार्थियों के साथ होता है जो वक्र नियमावली के कारण रिइवैलुयेशन नहीं कराते | क्या देश की परीक्षा लेने वाली सभी संस्थाएं इस नियमावली को अधिक तर्कसंगत अथवा लचीला बनाने की ओर कदम उठायेंगी ? अगली बिरखांत में कुछ और ....

पूरन चन्द्र काण्डपाल
05.07.2018

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