Friday 13 July 2018

Jaagar karaar karamgati : जागर में करार फिर करमगति

खरी खरी - 274 : जागर में करार फिर करमगति

       जागर में देव नृत्य करणियाँ (डंगरियाँ) कैं क्वे चमत्कार देखूण चैंछ कि ऊँ दयाप्त छीं । मनोरंजन क सिवाय जागर बै के लै नि मिलन । इनरि के जिम्मेदारी लै नि हइ । क्वे करार, क्वे पर्च, कुछ लै ना । भगवान क नाम ल्हिबेर आपण काम करण चैंछ । सब डंगरिय एक -एक कै पलायन करैं रईं और रामनगर - हल्द्वानी पुजी गईं । इनरि कृपल देवभूमिल खालि नि हुण चैंछी । कारगिल युद्ध 1999 में उत्तराखंडाक करीब 76 ज्वान सैनिक शहीद हई । नि हुण चैंछी । मुसर्रफ कपटि यति आ और आपणि बेगम कैं बगल बै भैटाई बेर ताजमहलक सामणि फोटो खींचै ल्हिगो । उमें एक फुक्क किलै नि मार यूं डंगरियाँल । वापस जै बेर वील कारगिल में घुसपैंठ करी । इनर करारक इंतजार करन- करनै म्यार गौं में एक लौंड बैमौत मरौ । बाद में इनूल करमगति हैगे कौ ।

       ग्वेल ज्यू एक ईमानदार, वीर औऱ न्यायप्रिय कत्युरी राज छी ।  उनर न्याय ल उनुकैं लोग पुजैं रईं । य इतिहास और गाथाओं में मौजूद छ । डंगरिया कैं हाम शराब -नश- धूम्रपान- भंगड़ी -गुटक - शिकार में डूबी देखें रयूं । सोचो और देखो । आंख नि बुजो । गीता में कर्म कि बात बतै रै । फल ईश्वर क हाथ में छ । उ सर्वशक्तिमान ईश्वर कैं याद करो । उमें आस्था धरो । वीक नामक दी जरूर जगौ । बांकि सब अंधविश्वास छ । गणतु - डंगरियांक डाई भैम में नि पड़ो ।  अंधविश्वास कि गुफा बै भ्यार औ । मसमसै बेर के निहुन, बेझिझक गिच खोलो ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
14.07.2018

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