Monday 2 July 2018

Kuchh kar n le : कुछ कर न ले

खरी खरी- 266 : 'कुछ कर न ले' का डर ठीक नहीं ।

     कहते हैं समय और ज्वार किसी की प्रतीक्षा नहीं करता (time and tide wait for none) | 1984 के लौसन्जेलेस ओलम्पिक में उड़न परी पी टी उषा सेकेण्ड के सौवे हिस्से से पदक से वंचित रह गई थी और 1960 के रोम ओलम्पिक में उड़न सिक्ख मिल्खा सिंह सेकेण्ड के दसवे हिस्से से पदक चूक गए थे | कोई समय की कीमत इन दोनों से पूछे |

      दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम आ गए हैं | कुछ विद्यार्थी परिणाम से दुखी होकर अनुचित कदम भी उठा देते हैं जो एकदम गलत है | केवल परीक्षा के दिन चीनी- दही से मुंह मीठा करने से पेपर अच्छा नहीं होता | पेपर अच्छा होने के लिए पूरे वर्ष योजनावद्ध तरीके से लगन के साथ अध्ययन करना पढ़ता है | कुछ विद्यार्थी ऐसे भी निकले जिन्होंने बिना किसी ट्यूसन-कोचिंग के उच्च स्थान प्राप्त किया , केवल समय प्रबंधन के साथ घर में अध्ययन किया ।

      यदि बच्चों में अनुशासन और समय प्रबंधन उचित है तो सफलता चल कर आयेगी आपके पास | आज हमने बच्चों से कुछ कहना या उन्हें समझाना इस डर से छोड़ दिया है कि वह कहीं ‘कुछ कर न ले’ | ऐसी स्थिति यकायक नहीं आती | आरम्भ से ही नियमित एवं उचित परवरिश बहुत जरूरी है | मां की निगहवान आँखें और पिता का कुशल मार्गदर्शन इसके लिए अति आवश्यक है |

     एक दिन पौधे को पानी नहीं देने से वह मुरझाने लगता है | जब उसे पानी नियमित देते हैं तो फिर बच्चों पर भी यही बात लागू होती है | शिखर पर पहुँचने की बात सभी करते हैं परन्तु पहुँचते वही हैं जो दृढ निश्चय, लगन, अनुशासन और परिश्रम के पायदानों में कदम रखते हुए आगे बढ़ते हैं | ‘पसीने की स्याही से जो लिखते हैं इरादों को, मुक्कदर के सफ़ेद पन्ने कोरे उनके नहीं रहते |’

पूरन चन्द्र काण्डपाल
30.06.2018

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