Tuesday, 31 July 2018

Kutte jaisee harkat: कुत्ते जैसी हरकत

खरी खरी - 284 : कुत्ते जैसी हरकत

     हम सबके परिचित चनरदा बोले, "यकीन करिये मैं दिनभर कई दो टांग वाले कुतों से रूबरू होता हूं । आप ठीक सोच रहे हैं कि कुत्ते की तो चार टांग होती हैं परन्तु ये दो टांग वाले कुत्ते कहां से आ गए ? ध्यान से देखिए ये दो टांग वाले कुत्ते सभी के इर्द-गिर्द हैं । कुत्ता तो एक घरेलू वफादार जानवर है । कहीं यह पालतू है तो कहीं आबारा । कुत्ता जब चाहे कहीं पर भी, सड़क के बीचोंबीच, रास्ते में, गली में, वाहन की आड़ में, घर के आगे, पार्क में, जहां उसका मन करे वहां मल- मूत्र छोड़ देता है । वह नहीं जानता कि उसकी इस हरकत से मानव परेशान होता है, दुखी होता है ।

     यदि कुत्ते जैसी हरकत यदि कोई मनुष्य करे तो उसे क्या कहेंगे ? इन दो टांग वाले कुत्तों में एक विशेष बात यह होती है कि वे किसी भी स्थान पर, सड़क, सीढ़ी, जीना, दफ्तर, नुक्कड़, कोना कहीं पर भी गुटखा- तम्बाकू थूक देते हैं । वह कार सहित किसी वाहन से भी थूक देते हैं । उनके इस गुटखा -मल से वह स्थान लाल हो जाता है । ऐसे कुत्तों की ब्रीड भगाने पर भौकने या काटने आती है जबकि अबारा कुत्ते चुपचाप भाग जाते हैं । यकीन नहीं होता तो ऐसे दो टांग वाले कुत्तों को एक बार चनरदा की तरह हड़काओ -फटकारों तो सही ।"

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.08.2018

Monday, 30 July 2018

Prem chand : प्रेम चंद

मीठी मीठी-137 : उपन्यास सम्राट प्रेमचंद

     आज 31 जुलाई, मात्र 56 वर्ष जीवित रह कर दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले उपन्यास और कथा सम्राट प्रेमचंद (धनपत राय श्रीवास्तव) जी की जयंती है । उनके बारे में अपनी पुस्तक "लगुल" में  तीन भाषाओं में (कुमाउनी, हिन्दी और अंग्रेजी) मैंने लघु लेख लिखा है जो यहां उधृत है । आज संपूर्ण साहित्य जगत उन्हें प्रणाम कर रहा है । उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही, वाराणसी में औऱ देहावसान 8 अक्टूबर 1936 को हुआ । लेखनी के धनाढ्य इस महापुरुष को हमारी भी विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
31.07.2018

Masmasai sab raeen मसमसै सब रईं

खरी खरी 283 : मसमसै सब रईं

मसमसै सब रईं
जोरैल क्वे क्ये नि कूं रय,
आपणि आपणि है रै
क्वे कैकि नि सुणै रय ।

आब नानतिन लै
आपण मना क हैगीं
जता जस मन औंछ
उता उस करैं फैगीं,
मै बाप कैं हर बखत
बाघ जस देखैं फैगीं,
समझूण में कै दिनी
तुमार बात पुराण हैगीं,
बाव कैं दे भुलिगो
बुड़ आब रै नि गय ।
मसमसै....

मसाण  - जागर मैं
सब डुबि रईं,
गणतू - पुछ्यारूं क
पिछलगू बनि गईं,
गांठ- पताव ताबीजों क
माव जपैं रईं,
बकार - कुकुड़ खां रीं
परया जेब काटैं रईं,
अंधविश्वास में डुबि रीं
क्वे कैकं नि रोकैं रय,
मसमसै सब रईं
जोरैल क्वे क्ये नि कूं रय ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
30.07.2018

Char natak : चार नाटक हेम पंत

मीठी मीठी -136 : रजत जयंती समारोह और पुस्तक लोकार्पण

     कल 28 जुलाई 2018 को दो कार्यक्रमों में सहभागिता मिली । पहला आयोजन नई दिल्ली नगर पालिका कांवेंसन हाल कनाटप्लेस नई दिल्ली में 'प्यारा उत्तराखंड' साप्ताहिक समाचार पत्र के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया । इस अवसर पर उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज मुख्य अतिथि थे । गणमान्य व्यक्तियों में सांसद मीनाक्षी लेखी सहित कई लेखक, कवि, पत्रकार और राजनीतिज्ञ मौजूद थे ।

     इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यकर्म के अलावा कुमाउनी-गढ़वाली- हिंदी कवि सम्मेलन भी हुआ जिसका संचालन डॉ केदारखंडी एवं अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार -कवि ललित केशवान ने की । कवियों में मुख्य थे सर्वश्री पूरन चन्द्र काण्डपाल, दिनेश ध्यानी, जयपाल सिंह रावत, रमेश हितैषी, दर्शन सिंह रावत, उदय ममगई, रामेश्वसरी नादान और ममता रावत ।  उत्तराखंड में अल्मोड़ा से आई सांस्कृतिक टीम ने "हरु हीत" नाटक का हिन्दी में शानदार नाट्य-मंचन किया । इस टीम को विशेष शुभकामना ।सांस्कृतिक कार्यक्रम गायक और संगीतकार शिवदत्त पंत जी के निर्देशन में हुआ ।

     दूसरा आयोजन गांधी शांति प्रतिष्ठान दिल्ली में वरिष्ठ रंगकर्मी और लेखक हेम पंत जी की पुस्तक "उत्तराखंड के चार नाटक" के लोकार्पण का था । यहां मुख्य अतिथि सांसद कोस्यारी जी थे । कई गणमान्य व्यक्तियों की इस आयोजन में उपस्थिति रही । पुस्तक में  जो चार नाटक हैं उनके नाम हैं - कगार की आग (हिमांशु जोशी), आछरी-माछरी (डॉ हरि सुमन बिष्ट), राजुला मालूशाही और राज्य एक स्वप्न । कई वक्ताओं ने इस पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लेखक हेम पंत को शुभकामना और बधाई दी ।

     दोनों ही जगह अपनी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए कई मित्रों से मिलन हुआ जो इन दोनों आयोजनों की विशेषता रही । कई विद्वानों, कवियों, लेखकों को सुना और साहित्यिक सुख की अनुभूति हुई । दोनों ही कार्यक्रमों के सफलता के लिए आयोजकों को हार्दिक बधाई ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.07.2018

Friday, 27 July 2018

Shabd : शब्द

खरी खरी - 282 : शब्द में अमृत भी, जहर भी

शब्द मुस्कराहट जगा देते हैं
शब्द कड़वाहट भी बड़ा देते हैं,
दिल जो दिखाई नहीं देता
शब्द उसकी बनावट भी बता देते हैं ।

कुछ शब्द कहे नहीं जाते
कुछ शब्द सहे नहीं जाते,
शब्दों के तीर से बने घाव
जीवन में भरे नहीं जाते ।

शब्द दुखड़े भी बांट देते हैं
शब्द खाई भी पाट देते हैं,
शब्दों के धारदार खंजर
उलझी हुई जंजीर काट देते हैं ।

शब्द मिठास भी भर देते हैं
शब्द निरास भी कर देते हैं,
मन में छिपे हुए तूफ़ान की
प्रकट भड़ांस भी कर देते हैं ।

शब्द से अमृत भी बरसता है
शब्द से जहर भी उफनता है,
अपशब्द से घटा जो घिरती है
हर तरफ कहर ही बरपता है ।

शब्द को जो पहले तोलता है
तोल के मुंह जो खोलता है,
मिटे द्वेष द्वंद घृणा ईर्ष्या
कूक कोयल सी मिठास घोल देता है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.07.2018

Thursday, 26 July 2018

Grahan : ग्रहण

खरी खरी - 281 : ग्रहण विज्ञान -अज्ञान

       पूर्ण चंद्र ग्रहण पर बहुत सी बातें मंथन करने योग्य हैं जो विज्ञान सम्मत हैं । ग्रहण में कोई राहू-कतू आदि नहीं । यह एक सौरमण्डलीय घटना है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आती है । इस दौरान पृथ्वी के बीच में आने से सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर नहीं पड़ता । इसी तरह सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आने से अमावश्या को सूर्य ग्रहण होता है । प्रत्येक पूर्णिमा और प्रत्येक अमावश्या को ग्रहण नहीं होते । ग्रहण पर अंधविश्वास की बातें विज्ञान नहीं मानता । खाना, ढाबा, होटल, रेल, जहाज, वायुयान, अन्य वाहन सब चलते रहेंगे । हम वैज्ञानिक युग में हैं । अब चंद्रमा पर मनुष्य पहुंच चुका है । विश्वगुरु तभी बनेंगे जब घर के अंधविश्वास को छोड़ पायेंगे ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.07.2018

Wednesday, 25 July 2018

Kargil war : कारगिल युद्ध याद

बिरखांत -222 : कारगिल युद्ध की याद ( विजय दिवस : 26 जुलाई ) 

     प्रतिवर्ष 26 जुलाई को हम ‘विजय दिवस’ 1999 के कारगिल युद्ध की जीत के उपलक्ष्य में मनाते हैं | कारगिल भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में श्रीनगर से 205 कि. मी. दूरी पर श्रीनगर -लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर शिंगो नदी के दक्षिण में समुद्र सतह से दस हजार फुट से अधिक ऊँचाई पर स्थित है |  मई 1999 में हमारी सेना को कारगिल में घुसपैठ का पता चला | घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए 14 मई को आपरेशन ‘फ़्लैश आउट’ तथा 26 मई को आपरेशन ‘विजय’ और कुछ दिन बाद भारतीय वायुसेना द्वारा आपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ आरम्भ किया गया | इन दोनों आपरेशन से कारगिल से उग्रवादियों के वेश में आयी पाक सेना का सफाया किया गया | इस युद्ध का वृतांत मैंने अपनी पुस्तक ‘कारगिल के रणबांकुरे’ ( संस्करण 2000) में लिखने का प्रयास किया है |

     यह युद्ध ग्यारह 11000 से 17000 फुट की ऊँचाई वाले दुर्गम रणक्षेत्र मश्कोह, दरास, टाइगर हिल, तोलोलिंग, जुबेर, तुर्तुक तथा काकसार सहित कई अन्य हिमाच्छादित चोटियों पर लड़ा गया | इस दौरान सेना की कमान जनरल वेद प्रकाश मलिक और वायुसेना के कमान एयर चीफ मार्शल ए वाई टिपनिस के हाथ थी | इस युद्ध में भारतीय सेना ने निर्विवाद युद्ध क्षमता, अदम्य साहस, निष्ठा, बेजोड़ रणकौशल और जूझने की अपार शक्ति का परिचय दिया |

     हमारी सेना में मौजूद फौलादी इरादे, बलिदान की भावना, शौर्य, अनुशासन और स्वअर्पण की अद्भुत मिसाल शायद ही विश्व में कहीं और देखने को मिलती हो | इस युद्ध में भारतीय सेना के जांबाजों ने न केवल बहादुरी की पिछली परम्पराओं को बनाये रखा बल्कि सेना को देशभक्ति, वीरता, साहस और बलिदान की नयी बुलंदियों तक पहुँचाया | 74 दिन के इस युद्ध में हमारे पांच सौ से भी अधिक सैनिक शहीद हुए जिनमें उत्तराखंड के 74 शहीद थे तथा लगभग एक हजार चार सौ सैनिक घायल भी हुए थे |

     कारगिल युद्ध के दौरान हमारी वायुसेना ने भी आपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ के अंतर्गत अद्वितीय कार्य किया | आरम्भ में वायुसेना ने कुछ नुकसान अवश्य उठाया परन्तु आरम्भिक झटकों के बाद हमारे आकाश के प्रहरी ततैयों की तरह दुश्मन पर चिपट पड़े | हमारे पाइलटों ने आसमान से दुश्मन के खेमे में ऐसा बज्रपात किया जिसकी कल्पना दुश्मन ने कभी भी नहीं की होगी जिससे इस युद्ध की दशा और दिशा में पूर्ण परिवर्तन आ गया | वायुसेना की सधी और सटीक बम- वर्षा से दुश्मन के सभी आधार शिविर तहस-नहस हो गए | हमारे जांबाज फाइटरों ने नियंत्रण रेखा को भी नहीं लांघा और जोखिम भरा सनसनी खेज करतब दिखाकर अपरिमित गगन को भी भेदते हुए करशिमा कर दिखाया | हमारी वायुसेना ने सैकड़ों आक्रमक, टोही, अनुरक्षक युद्धक विमानों और हेलिकोप्टरों ने नौ सौ घंटों से भी अधिक की उड़ानें भरी | युद्ध क्षेत्र की विषमताओं और मौसम की विसंगतियों के बावजूद हमारी पारंगत वायुसेना ने न केवल दुश्मन को मटियामेट किया बल्कि हमारी स्थल सेना के हौसले भी बुलंद किये |

     कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता, कर्तव्य के प्रति अपने को न्योछवर करने के लिए 15 अगस्त 1999 को भारत के राष्ट्रपति ने 4 परमवीर चक्र (कैप्टन विक्रम बतरा (मरणोपरांत), कैप्टन मनोज पाण्डेय (मरणोपरांत), राइफल मैन संजय कुमार और ग्रेनेडियर योगेन्द्र यादव ( पुस्तक ‘महामनखी’ में इनकी लघु वीर-गाथा तीन भाषाओं में एक साथ है ), 9 महावीर चक्र, 53 वीर चक्र सहित 265 से भी अधिक पदक भारतीय सैन्य बल को प्रदान किये | कारगिल युद्ध से पहले जम्मू -कश्मीर में छद्मयुद्ध से लड़ने के लिए आपरेशन  ‘जीवन रक्षक’ चल रहा था जिसके अंतर्गत उग्रवादियों पर नकेल डाली जाती थी और स्थानीय जनता की रक्षा की जाती थी |

     हमारी तीनों सेनाओं का मनोबल हमेशा की तरह आज भी बहुत ऊँचा है | वे दुश्मन की हर चुनौती से बखूबी जूझ कर उसे मुहतोड़ जबाब देने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं | उनका एक ही लक्ष्य है, “युद्ध में जीत और दुश्मन की पराजय |” आज इस विजय दिवस के अवसर पर हम अपने अमर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर शहीद परिवारों का सम्मान करते हुए अपने सैन्य बल और उनके परिजनों को बहुत बहुत शुभकामना देते हैं । आज ही हम सबको हर चुनौती में इनके साथ डट कर खड़े रहने की प्रतिज्ञा भी करनी चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26 जुलाई 2018

Kargil :कारगिल

कारगिल युद्ध कि याद ( विजय दिवस : २६ जुलाई )

     हर साल २६ जुलाई हुणि हम ‘विजय दिवस’ १९९९ क कारगिल युद्ध में जीत कि याद में मनूनू | कारगिल भारत क जम्मू-कश्मीर राज्य में श्रीनगर बटि २०५ कि. मी. दूर श्रीनगर -लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर शिंगो नदी क दक्षिण में समुद्र सतह बटि दस हजार फुट है ज्यादै ऊँचाई पर स्थित छ | मई १९९९ में हमरि सेना कैं कारगिल में घुसपैठ क पत्त चलौ | घुसपैठियों कैं खदेड़ण क लिजी १४ मई हुणि आपरेशन ‘फ़्लैश आउट’ एवं २६ मई हुणि आपरेशन ‘विजय’ और कुछ दिन बाद भारतीय वायुसेना द्वारा आपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ आरम्भ करी गो | यूं द्विये आपरेशनों ल कारगिल बटि उग्रवादियों क वेश में आयी पाकिस्तानी सेना क सफाया करी गो | य युद्ध क वृतांत मील आपणी किताब ‘कारगिल के रणबांकुरे’ ( संस्करण २०००) में लेखण क प्रयास करौ |

     य युद्ध ११००० बटि १७००० फुट कि ऊँचाई वाल दुर्गम रणक्षेत्र मश्कोह, दरास, टाइगर हिल, तोलोलिंग, जुबेर, तुर्तुक और काकसर सहित कएक दुसार ह्यूं ल ढकी ठुल पहाड़ों पर लड़ी गो | य दौरान सेना कि कमान जनरल वेद प्रकाश मलिक और वायुसेना कि कमान एयर चीफ मार्शल ए वाई टिपनिस क हात में छी | य युद्ध में भारतीय सेना ल निर्विवाद युद्ध क्षमता, अदम्य साहस, निष्ठा, बेजोड़ रणकौशल और जूझण कि भौत अद्भुत शक्ति क परिचय दे | हमरि सेना में मौजूद फौलादी इराद, बलिदान कि भावना, शौर्य, अनुशासन और स्वअर्पण कि अद्भुत मिसाल शैदै दुनिय में कैं और देखण में मिलो | य युद्ध में भारतीय सेना क जांबाजों ल न केवल बहादुरी कि पुराण परम्पराओं कैं बनै बेर धरौ बल्कि सेना कैं देशभक्ति, वीरता, साहस और बलिदान कि बेमिशाल बुलंदियों तक पुजा | य युद्ध में हमार पांच सौ है ज्यादै सैनिक शहीद हईं जमें उत्तराखंड क ७३ शहीद छी और करीब एक हजार चार सौ सैनिक घैल लै हईं |

     कारगिल युद्ध क दौरान हमरि वायुसेना ल लै आपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ क अंतर्गत अद्वितीय काम करौ | शुरू में वायुसेना ल कुछ नुकसान जरूर उठा पर शुरुआती झटकों क बाद हमार अगास क रखवाल झिमौडू कि चार दुश्मण पर चिपटि पणी | हमार पाइलटों ल  अगास बै दुश्मण क पड्याव में यस बज्जर डावौ जैकि कल्पना दुश्मण ल लै कभै नि करि हुनलि जैल य लडै कि दशा और दिशा में पुरि तौर पर बदलाव ऐगो | वायुसेना कि सधी और सटीक बम- वर्षा ल दुश्मण क सबै आधार शिविर तहस-नहस है गाय | हमार जांबाज फाइटरों ल नियंत्रण रेखा कैं लै पार नि कर और जोखिम भरी सनसनी खेज करतब देखै बेर अथाह अगास में छेद करण क करशिमा करि बेर देखा | हमरि वायुसेना ल सैकड़ों आक्रमक, टोही,  युद्धक विमानों और हेलिकोप्टरों ल नौ सौ घंटों है लै ज्यादै कि उड़ानें भरी | युद्ध क्षेत्र कि विषमताओं और मौसम कि विसंगतियों क बावजूद हमरि पारंगत वायुसेना ल न केवल दुश्मण कैं मटियामेट करौ बल्कि हमरि स्थल सेना क हौसला अफजाई लै करी |

     कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता, कर्तव्य क प्रति आपूं कैं न्योछावर करण क लिजी १५ अगस्त १९९९ हुणि भारत क राष्ट्रपति ज्यू ल ४ परमवीर चक्र (कैप्टन विक्रम बतरा (मरणोपरांत), कैप्टन मनोज पाण्डेय (मरणोपरांत), राइफल मैन संजय कुमार और ग्रेनेडियर योगेन्द्र यादव ( पुस्तक ‘महामनखी’ में इनरि लघु वीर-गाथा तीन भाषाओं में दगडै छ ), ९ महावीर चक्र, ५३ वीर चक्र सहित २६५ है लै ज्यादै पदक भारतीय सैन्य बल कैं प्रदान करीं | कारगिल युद्ध है पैली जम्मू -कश्मीर में छद्मयुद्ध दगै लड़ण क लिजी आपरेशन ‘जीवन रक्षक’ चल रौछी जमें उग्रवादियों पर नकेल डाली जैंछी और स्थानीय जनता कि रक्षा करी जैंछी |

     हमरि तीनों सेनाओं क मनोबल हमेशा कि चार आज लै भौत उच्च छ | ऊँ दुश्मण कि हर चुनौती दगै बखूबी जूझि बेर उकैं मुहतोड़ जबाब दीण में पुरि तौर पर सक्षम छ | उनर एक्कै लक्ष्य छ, “युद्ध में जीत और दुश्मन क मटियामेट |” हाम विजय दिवस क अवसर पर आपण अमर शहीदों कैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करि बेर शहीद परिवारों क सम्मान करनै आपण सैन्य बल और उनार परिजनों कैं भौत- भौत शुभकामना दीण चानू और हर चुनौती में उनू दगै डटि बेर ठाड़ रौण क बचन दीण चानू | शहीदों कैं कुर्मांचल अखबार क पाठकों और अखबार पुरि टीम कि लै श्रद्धांजलि । के लै भुलो पर शहीदों कैं नि भुलो ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल,
26 जुलाई 2018

Tuesday, 24 July 2018

Patnee, wife, gharwai : घरवाइ पत्नी वाइफ

खरी खरी-280 : पत्नी अर्थात वाइफ अर्थात घरवाइ

     पत्नी के बारे में सोसल मीडिया में बहुत हास्य है । कुछ पचनीय तो कुछ अपचनीय भी है । पत्नी उतनी खराब भी नहीं होती जितना प्रोजेक्ट किया जाता है । हास्य लाने के साथ यह भी ध्यान रहे कि कहीं उधर से नफरत न उगने लगे ।

     जब पत्नी की बात आती है तो हमें तिलोतम्मा और रत्नावली की याद आती है जिन्होंने अपने पति कालिदास और तुलसीदास को अमर कर दिया । हमें केकई और सावित्री की भी याद आती है जिनमें केकई ने तो दशरथ के प्राण ले लिए और सावित्री सत्यवान के गए प्राण वापस ले आई ।

     किसको कैसी पत्नी मिलती है यह उसकी लाट्री है । लाट्री पत्नी के लिए भी है कि उसे कैसा पति मिलता है । जैसी भी पत्नी मिले एडजस्ट तो करना ही होगा । एक व्यक्ति अपनी पत्नी से परेशान था और बोला, "वाइफ इज ए नाइफ हू कट द लाइफ" अर्थात पत्नी वह चाकू है जो जिंदगी का कत्ल कर देती है । दूसरा व्यक्ति अपनी पत्नी से खुश था और बोला, "दियर इज नो लाइफ विदाउट वाइफ" अर्थात पत्नी के बिना जिंदगी है ही नहीं ।

     पत्नी पर आये क्रोध में शीतलता के दो छीटे इस तरह डाले जा सकते हैं "कुछ भी हो यार ये मेरे बच्चों की मां है, इसी ने तो मुझे बाप बनाया है ।" पत्नी से हमारा रिश्ता जग जाहिर है । नर के घर, नारायण के घर और कानूनी तौर से भी वह हमारी पत्नी है । सबसे बड़ी बात यह है कि क्या पत्नी पति की दोस्त भी है । यदि दोस्त है तो फिर जिन्दगी का नजारा ही कुछ और है । यदि दोस्त नहीं है तो उसे दोस्त बनाने में ही जिंदगी गेंदा फूल है । दोस्ती का हाथ पति ने बढ़ाना है । जी हां, पहल पति की तरफ से ही होनी है । इस तरह से -

"पत्नी तू भार्या ही नहीं है
मित्र बंधु और शखा है तू,
जीवन नाव खेवैया तू है
वैद हकीम दवा भी तू ।"

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.07.2018

Shreedev suman:श्रीदेव सुमन पुण्यतिथि

आज 25 जुलाई श्रीदेव सुमन जी का स्मरण दिवस

      उत्तराखंड के क्रांतिवीर,अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी का बलिदान दिवस है । 25 जुलाई 1944 को तत्कालीन रियासत के  राजा के खिलाफ 84  दिन के अनशन के दौरान ही उनके प्राण चले गए । उनका जन्म 25 मई 1915 को टिहरी उत्तराखंड के जौल गांव में हुआ था । इस महान स्वतंत्रता सेनानी को विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25 जुलाई 2018

Monday, 23 July 2018

Sarvshaktimaan nirakaar : सर्वशक्तिमान निराकार

खरी खरी - 279 :  सर्व शक्तिमान निराकार


मंदिर-मस्जिद वास नहीं मेरा

नहीं मेरा गुरद्वारे वास,

नहीं मैं गिरजाघर का वासी

मैं निराकार सर्वत्र मेरा वास ।

मैं तो तेरे उर में भी हूं

तू अन्यत्र क्यों ढूंढे मुझे,

परहित सोच उपजे जिस हृदय

वह सुबोध भा जाए मुझे ।

काहे जप -तप पाठ करे तू

तू काहे ढूंढे पूजालय,

मैं तेरे सत्कर्म में बंदे

अंतःकरण तेरा देवालय ।

क्यों सूरज को दे जलधार तू

नीर क्यों मूरत देता डार,

अर्पित होता ये तरु पर जो

हित मानव का होता अपार ।

परोपकार निःस्वार्थ करे जो

जनहित लक्ष्य रहे जिसका,

पर पीड़ा सपने नहीं सोचे

जीवन सदा सफल उसका ।

राष्ट्र- प्रेम से ओतप्रोत जो

कर्म को जो पूजा जाने,

सवर्जन सेवी सकल सनेही

महामानव जग उसे माने ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

24.07.2018

(पुस्तक 'यादों की कालिका' से)

Bhashaa sikhalaaee : भाषा सिखलाई

मीठी मीठी - 134 :आपणि भाषा सिखलाई कक्षा

       बेई 22 जुलाई 2018 हैं आपणि भाषा सिखलाई कि कक्षा रत्तै 10 बजी बटि 12 तक DPMI न्यू अशोक नगर नई दिल्ली में लागी जां शिक्षक छी पूरन चन्द्र काण्डपाल (कुमाउनी) और चंदन प्रेमी (गढ़वाली) । कुल 12 कक्षाओं कि श्रंखला में अघिल कक्षा 29 जुलाई 2018 हुणि रत्तै 10 बजी बटि 12 बजी तक आयोजित होलि । उम्मीद छ सबै अभिभावक आपण नना कैं टैम पर भेजाल । यूं 12 कक्षा 20 मई 2018 बटि 5 अगस्त 2018 तक हर ऐतवार रत्तै 10 बजी बटि 12 बजी तक पुर NCR में कएक जाग उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली द्वारा DPMI और उत्तराखंड एकता मंच दिल्ली एवं सम्बद्ध संस्थाओं क सहयोगल आयोजित करी जां रईं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.07.2018

Saturday, 21 July 2018

Vidhava : विधवा पुनर्विवाह

खरी खरी - 278 : विधवा पुनर्विवाह

     हमारे देश में विधवाओं की स्थिति बहुत दयनीय है । धर्म के ठेकेदार उन्हें अशुभ मानते हैं और शुभ अवसरों पर पीछे धकाते हैं । शादी की उम्र होने के बावजूद भी उनका पुनर्विवाह नहीं होने दिया जाता और एक परित्यक्त जीवन बिताने पर उन्हें मजबूर किया जाता है ।

      वृंदावन सहित कई शहरों में विधवाओं की दयनीय दशा देखकर सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को इस मुद्दे पर गंभीरता से मंथन करने को कहा है । हमारी रुढ़िवादी सोच ने ही विधवाओं को काशी या वृंदावन पहुँचाया है । वैधव्य की मार झेलती इन परित्यक्ताओं को समाज से स्नेह -आदर की जगह तिरष्कार और अपमान मिला है ।

      विधवा पुनर्विवाह की कानूनी मान्यता होने के बावजूद भी लोग इन्हें अपनाने से कतराते हैं । काशी वृंदावन इन्हें 'स्वर्ग का पड़ाव' बता कर भेजा जाता है। यहां इनकी दुर्गति किसी से छिपी नहीं है । प्रत्येक दृष्टिकोण से इनका शोषण होता है । परवरिश करने की समस्या तथा जायदाद हथियाने के लालच से इनके सम्बन्धी इन्हें यहां भेजते हैं ।

      सरकार कोई ऐसी नीति बनाये जिससे विधवा को अपनाने वालों को प्रोत्साहन मिले और समाज में विधवा का सम्मान हो तथा माता-पिता या सास-ससुर को भी विधवा बेटी या बहू का पुनर्विवाह अवश्य करना चाहिए ताकि उसे परित्यक्त जीवन न बिताना पड़े । उसके वैधव्य को पुनर्जीवन दिया जाना चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.07.2018

Thursday, 19 July 2018

Nahe rahe gopal dass neeraj : नहीं रहे गोपालदास नीरज

नहीं रहे गोपालदास नीरज

         कवि, गीतकार और व्यंग्य जगत की सुप्रसिद्ध हस्ती पद्मभूषण गोपालदास नीरज का दिल्ली के एम्स में कल 19 जुलाई 2018 को निधन हो गया । वे 93 वर्ष के थे । उनका अंतिम संस्कार अलीगढ़ उ प्र में किया जाएगा । "कारवां गुजर गया, ये भाई जरा देख के चलो, काल का पहिया घूमे रे भइया, बस यही अपराध में हर बार करता हूँ, आदि" उनके गीत उनके जाने के बाद भी अमर रहेंगे ।

      वे तो खामोश हो गए परंतु उनके गीत जनमानस को खामोश नहीं होने देंगे । उनका काव्यपाठ श्रोताओं को खींच कर लाता था ।
विनम्रतापूर्वक श्रद्वांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.07.2018

Paudh ropan mein ieemaandaaree: पौध रोपण में ईमानदारी

खरी खरी -277 : पौध-रोपण में ईमानदारी

      समाचार पत्रों के अनुसार आजकल देश में पौध रोपण के कई रिकार्ड बनाये जा रहे हैं । लाखों- करोड़ों पौधे लगाए जाने की बात हो रही है। इनमें परवरिश कितनों की होगी और कितने पौधे वृक्ष का रूप लेंगे ? इस हेतु पूरा रिकार्ड रखा जाना चाहिये । पिछले साल भी ऐसा हुआ परन्तु रोपने के बाद इन पौधों को कोई देखने नहीं आया ।  वनमहोत्सव तो हर साल मनाया जाता है पता नहीं कितना जमीन में और कितना कागज में ?

    देश में हर साल चातुर मास में करोड़ों पौधे रोपे जाते हैं परन्तु बहुत कम ही जीवित रहते हैं क्योंकि रोपाई के बाद कोई इन्हें देखने नहीं आता । इस बात की जिम्मेदारी होनी चाहिए तभी देश में हरियाली बनी रहेगी और वातावरण भी स्वच्छ रहने की उम्मीद बनी रहेगी । एक व्यक्ति द्वारा एक पेड़ रोपकर उसकी देखभाल करना देखा जाय तो कोई बड़ा कार्य नहीं है । सोसल मीडिया में किसी मूर्ति के बजाय पौधरोपण का चित्र भेजना मैं उचित समझता हूँ क्योंकि इससे समाज को प्रेरणा मिलेगी बसरते इसमें ईमानदारी बरती जाय ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.07.2018