खरी खरी - 179 : स्वामी रामदेव अब कम बोलने लगे हैं ।
कुछ लोग कहते हैं रामदेव जी एक साधु हैं, फकीर हैं उन्हें बिजनेस नहीं करना चाहिए । मैं इस बात का समर्थन नहीं करता । यदि रामदेव जी भी कटोरा- कमण्डल लेकर भीख मांगते तो तब क्या अच्छा होता ? कभी नहीं । रामदेव जी ने आज हजारों लोगों को रोजगार दिया है और योग को घर-घर पहुँचाया है जो हमारे लिए गर्व की बात है । अंधविश्वास की हमारे देश में जड़ बहुत गहरी है । रामदेव जी अंधविश्वास के भी घोर विरोधी हैं इसलिए भी मैं उनका सम्मान करता हूं । स्वदेशी मूवमेंट का स्मरण करते हुए मैं यदाकदा पतंजलि के प्रोडक्ट्स भी खरीदता हूं ।
रामदेव जी का नए दो हजार रुपये के नोट पर चुप रहना मुझे अखरता है क्योंकि वे 2014 तक पांच सौ और एक हजार के नोट को हटाने के पक्षधर रहे हैं । दूसरी बात यह है कि वे कालेधन पर भी चुप हैं और वर्तमान नीरव मोदी लूट- भगोड़ा कांड पर भी चुप हैं । उन्होंने जनहित में उस रामदेव को पिजड़े बंद नहीं करना चाहिए जो कभी किसी भी भ्रष्टाचार पर सिंह गर्जना करता था । चाणक्य तो हर परिस्थिति में बोलते थे । कृपया बोलते रहें स्वामी रामदेव जी, चुप न रहें । साधुवाद ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.02.2018
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