खरी खरी - 169 : पकोड़े का सीजन
गरमपानी में रायता बेचो
मङ्चूला में छोले,
चाय-पकोड़ा कहीं भी बेचो
साहेब जोर से बोले ।
रोजगार को युवा तरसते
फिरते डोले डोले,
साहेब पेट न भरे बातों से
डिग्री होल्डर बोले ।
अन्तिम बजट पर तुमने चलाए
मध्यम वर्ग पर गोले,
इनकम टैक्स पर छूट न दीनी
दे दिए 'सेस' के शोले ।
मन की बात काहे को सुनावे
तन की कभी न बोले,
काम की मिसरी देते ना तुम
बात में मिसरी घोले ।
चाय पै चर्चा खूब हो गई
अब गरम पकौड़े तोले,
2014 में जो कहा था
जरा याद उसकी भी होले ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
07.02.2018
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