Friday 16 February 2018

Pakoda : पकोड़ा बहस

खरी खरी - 177 : पकोड़ा- पकोड़ा विमर्श 

     हमारे देश में पकोड़ा - पकोड़ा पर खूब बहस हो रही है । फुटपाथ पर पकोड़ा लाइव प्रदर्शन हो रहा है उधर एक आदमी बैंक की तिजोरी खाली करके भगोड़ा हो गया है । इसे क्या कहेंगे ? बहस का क्या है ? इसे तो असल मुद्दों से भटकाने के उद्देश्य से कालांतर से कराया जाता है । ढाल के रूप में पकोड़े का उपयोग पहली बार हो रहा है ।

     देश में चाय पर चर्चा के साथ अब पकोड़े पर भी चर्चा होने लगी है । राजधानी में केंद्रीय बजट के बाद पकोड़े के चटखारे के साथ बजट को बेहतरीन बजट बताया जा रहा है । राजनैतिक दल एक -दूसरे पर ओछी टिप्पणियां कर रहे हैं । बेरोजगार युवा मुठ्ठी में अपने प्रमाणपत्र लेकर इधर- उधर रोजगार तलासते हुए खानाबदोश बन रहे हैं । कोने में पड़ा हुआ बेचारा पकोड़ा आज राजनीति की चर्चा में आ गया है ।

     राजधानी के पूर्वी नगर निगम शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षकों ने  तीन महीने से वेतन नहीं मिलने से नाराज होकर 12 फरवरी को नगर निगम मुख्यालय के बाहर पकौड़े तलकर अपना विरोध जताया । वहां मौजूद लोगों ने रोष में तले गए इन पकौड़ों का कसैला स्वाद भी चखा । शिक्षक संघ के अध्यक्ष के अनुसार 2015 से सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों को न तो पैंसन मिल रही है और न उनकी बचत राशि । 

     कुछ बेरोजगार डिग्री होल्डर स्किल प्राप्त युवाओं का कहना है कि समझ में नहीं आता कि कितने लोग पकोड़े बनाएंगे और उन्हें कहां बेचेंगे ? आसमान पर चढ़े बेसन और तेल का भाव दुनिया देख रही है । कौन उन्हें बेसन और तेल देगा तथा कौन पकौड़े बिकने की गारंटी लेगा ? इस तरह पकोड़ा-पकोड़ा कह कर हमारे जख्मों में नमक छिड़क कर हमारा दर्द मत बढ़ाइए श्रीमान, हमें हमारी योग्यतानुसार कार्य दीजिये जैसा कि आपने कहा था ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
17.02.2018

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