Sunday 4 February 2018

Byoli dhundho : ब्योलि ढूंढो

मीठी मीठी - 77 :ब्योलि ढूंढों ( कुमाउनी गीत )

अणब्यवाई लौंडों कि डिमांड पर य गीत  ‘ब्योलि ढूंढो’ ('उकाव –होराव' किताब -२००८ )

(कुंवारे लड़के के मन में कैसी दुल्हन  की कल्पना है, इस गीत में अपने मन की बात वह अपने बड़े भाई से कह रहा है | )

दाज्यू मिहुणी ब्योलि ढूंढो गौं बै भली-भली
मीकणी नि चैनी दाज्यू शहर की च्येली |

आपण मुलुक बै ढूंढों और कैंबै नि चैनी
कसिक समाउल मैं तेजतरार स्यैणी
आजकल च्येलिया हैगीं बंदूकै की नली । मीकणी...

सिदि सादि नानि चैंछ पढ़िया लेखिया
जो ख्वारम धोति धरो आंचव गाड़िया
मिसिरी कि कुंज जसी, गूड़ कसि डली । मीकणी...

छवट-छ्वट घुगंट मजी चमकणी बिंदुली
नगदार कनफूल दगै नानि नानि नथूली
देखण में लागो जसी गुलाब की कली | मीकणी...

बानकी कुटुकि ढूंढो, ढूंढो काई गोरी
लुपलुपी सुपसुपी ढूंढो चौमासै की तोरी
काकड़ फुल्युड़ जसी कैरुवै गेदुली | मीकणी...

सासु-सौर क भरम करो भल-भल व्यवहार
ननद देवर दगै रौ भै-बैणी चार
पिनाउ कि गांज जसी झन ल्याया चिलैली | मीकणी...

औंणियां जणियां देखो घर देखो समाज
खुशी-खुशी जो निभैद्यो द्वि घरों कि लाज
धान कि बालड़ी जसी फुन वाई धमेली | मीकणी...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
05.02.2018

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