Sunday 11 February 2018

Badreedatt pandey : बद्रीदत्त पांडेय

मीठी मीठी - 81 : कुमाऊँ केसरी बद्री दत्त पांडे जी की 136वीं जयंती 

    11 फरवरी 2018 को गढ़वाल भवन नई दिल्ली में उत्तराखंड फ़िल्म एवं नाट्य संस्थान नई दिल्ली द्वारा स्वतंत्रता सेनानी कुमाऊँ केसरी पंडित बद्री दत्त पांडे जी की 136वीं जयंती मनाई गई । इस अवसर पर पांडे जी के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान की चर्चा के साथ वर्तमान राजनीति से उसका तुलनात्मक विमर्श भी हुआ । मुख्य वक्ताओं में सर्वश्री हेम पंत, रमेश घिल्डियाल, दिनेश ध्यानी, रमेश हितैषी, डी पी ध्यानी, दर्शन सिंह रावत और पूरन चन्द्र काण्डपाल आदि थे । संस्था की अध्यक्ष श्रीमती संयोगिता ध्यानी ने सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया । मंच संचालन संस्था के प्रशासक श्री अजय बिष्ट ने किया । इस अवसर पर संस्था के कई कलाकारों को सम्मानित भी किया गया तथा बच्चों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत भी किया गया ।

     कुमाऊँ केसरी बदरी दत्त पांडे जी का जन्म 15 फरवरी 1882 को विनायक पांडे जी के घर कनखल में हुआ । बाद में वे अल्मोड़ा आये । उन पर विवेकानंद जी और ऐनीवेसेन्ट का प्रभाव था । उन्होंने 1905 नें देहरादून में नौकरी की । वे 1910 तक इलाहाबाद में एक संपादक के साथ रहे । उन्होंने अल्मोड़ा अखबार और शक्ति अखबार नें काम किया । वे गांधी जी के संपर्क में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे । 13 जनवरी 1921 उत्तरायणी के दिन  कुली बेगार के रजिस्टर गोमती-सरयू के संगम बागेश्वर में उनके नेतृत्व में बहाए गए । वे अंग्रेजों के दमन और बंदूक से निर्भीक होकर अहिंसा से स्वतंत्रता की आवाज बुलंद करते रहे और "कुमाऊँ केसरी" कहलाये ।  इस तरह मानव जाति को कलंकित करने वाली कुली बेगार प्रथा का अंत हुआ । 

      वे 7 वर्ष तक अलग- अलग जेलों में बंद रहे । 1937 में उन्होंने "कुमाऊँ का इतिहास" पुस्तक लिखी । वे संयुक्त प्रांत के सदस्य, जिला परिषद के सदस्य, केंद्रीय एसेम्बली सदस्य तथा लोकसभा के सदस्य रहे । 13 जनवरी 1964 को 83 वर्ष की उम्र में उनका देहावसान हो गया । वे एक निर्भीक पत्रकार, कुशल प्रशासक और जन प्रिय नेता थे । उनके नाम से नैनीताल में एक अस्पताल और बागेश्वर में पोस्ट ग्रेज्युएट कॉलेज है । हम ऐसे महामानव को उनकी 136वीं जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
12.02.2018

2 comments:

  1. बद्री दत्त पांडे जी की 1955 की एक चिट्ठी मेरे पास है क्या उनके वंशज ओर से मेरी बात हो पाएगी मैं मुनस्यारी क्षेत्र का रहने वाला हूं

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