Thursday 15 February 2018

Andhvishwas : अंधविश्वास पैली लै

बिरखांत-199 : अंधविश्वास क विरोध पैली लै हौछ ।

       कबीर ल त १४वीं सदी में पाखण्ड और अंधविश्वास का घोर विरोध करौ छै, हमार उत्तराखंडी कवियों शिवदत सती, गौरदा,  गिरदा,  शेरदा बटि आत्माराम  गैरोला,  भावानीदत्त थपलियाल, चक्रधर  बहुगुणा,  अदित्यराम दुदपुड़ी तक सबूल समाज में व्याप्त रूढिवाद और पाखण्ड क जम बेर विरोध करौ | साहित्य अकादमी भाषा सम्मान प्राप्त, कयेक किताबों क रचियता रामनगर निवासी मथुरादत मठपाल ज्यू द्वारा संकलित  ‘दुदबोली’  में शिवदत सती ( १८४८-१९४० ई.) ग्राम भड़गांव, जिला अल्मोड़ा रचित ‘मित्र विनोद’ कि कुछ लैन आज कि बिरखांत में उनुकैं श्रधांजलि स्वरुप प्रस्तुत छीं –

ज्युन छन दुःख दियो, करो बरबाद; 
मरी बेर गयाकाशी करले सराद |
मरिया की गयाकाशी, माटी लीण जायो;
ज्युना कण दुःख दियो जरा नि लजायो |
सराद में आई बेर, मारिया नि खाना;
बामण ज्यू खाई जानी बिरादर नाना |
के जाणनी पतड़िया करमों का हाल;
पर्वत रौण भलो झन पड़े मॉल |

खानदानी बामण त है गईं नौकर;
पितलिया पतड़िया है गीं घर घर |
ठगणियां बामण क मानी जले कयो;
तनरो त येसो कोणों रुजगार हयो |
नि जानना अनपढ़ यो छ पोप जाल;
 पर्वत रौण भलो झन पड़े माल |

आपण लिजिया सब बामण लिजानी;
यजमान बहकाई बेर बैठी-बैठी खानी |
कठुवा बामण ले रचो गरुड़ पुराण;
साँची मानी जानी सब यती अनजान |
गरुड़ पुराण छा यो बड़ो झूठो जाल ;
पर्वत रौण भलो झन पड़े माल |

परबुद्धि अकल में बासी जौ कफुवा;
मरिया का लिजिय जो लागौछ ढपुवा |
नि पुजनो नि पुजनो मारिया का उती;
बामण को रुजगार लिजाण की बुती |
नि जाणनै मूरख तु ठगण की चाल;
परवत रौण भलो झन पड़े माल |

बामण ले फोड़ी दियो भारत को दान;
कुनली मिलाई बेर होई जानी रान |
बामण का घर देख विधवों को ठाल;
पर्वत रौण भलो झन पड़े माल |

भटकछै तीर्थों में कती छन राम;
हिरद में ध्यान लगो उती वीको धाम |
शिवदत्त नौ छ मेरो शिबुवा कै दिनी;
बिगड़िया खापड़ी का अपयश लिनी |
कथ मरूं मरनेसू हरै गोछ काल:
परवत रौण भलो झन पड़े माल |

      शिव दत्त सती आज बटि ७८ वर्ष पैली १९४० में दिवंगत है गईं | उनूल समाज में व्याप्त विषमताओं, अंधविश्वास, छुआछूत, रूढिवाद क जम बेर विरोध करौ | यसिकै लखनऊ निवासी वरिष्ठ लेखक प्रयाग दत पंत लै समाज कैं जागृत करते रौनी | आज हम विज्ञान क युग में रौनू और उई प्रथा – परम्परा कैं हमूल अपनूण या मानण चैंछ जैक क्वे वैज्ञानिक आधार हो | गरुड़ पुराण  मील लै सुणौ| मी मित्र विनोद क लेखक दगै सहमत छयूं |
अघिल बिराखांत में क्ये और...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
15.02.2018

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